पटना स्कूली बच्चों के पोषाहार से बिचौलियों
का परिवार पल बढ़ रहा है। स्कूलों के लिए आवंटित पोषाहार का अनाज महीनों
तक राज्य खाद्य निगम के गोदाम में पड़ा रहता है। यह स्थिति न केवल पटना
बल्कि भोजपुर, रोहतास, कैमूर जिले सहित पूरे प्रमंडल की है। बीते अप्रैल
महीने में पटना के चांदमारी रोड में करीब 15 सौ बोरे में पोषाहार का चावल
जब्त किया गया। इस मामले में कंकड़बाग थाने में नामजद प्राथमिकी हुयी लेकिन
मास्टर माइंड पुलिस की पकड़ से बाहर है। राजवंशी नगर और आर ब्लाक गोदाम में
मास्टर माइंड गोरख धंधा चला रहा है। पटना जिले के लिए आवंटित 10 हजार 420
क्विंटल पोषाहार का अनाज राज्य खाद्य निगम ने उठाव किया लेकिन स्कूलों तक
नहीं पहुंची। अब पोषाहार के लिए शिक्षा विभाग को वैट की राशि जमा करने पर
आपूर्ति आदेश मिलने का प्रावधान कर दिया गया। मई और जून महीने का वैट जमा
नहीं होने उठाव बाधित है। वैट के रूप में एक लाख 78 हजार 857 रुपये प्रति
महीने जमा करना अनिवार्य है तभी पोषाहार का उठाव हो सकेगा।
उधर प्रभारी अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि स्कूलों में गर्मी
की छुट्टी है लिहाजा पोषाहार का उठाव नहीं हो रहा है। राज्य खाद्य निगम को
1.34 करोड़ रुपये ढ़ुलाई खर्च भुगतान के सवाल पर कहा कि पहले जन वितरण के
माध्यम से आपूर्ति होती थी। कितना आपूर्ति किया गया इसका हिसाब प्रखंड
स्तर से मंगाया जा रहा है।
आरा से हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि मिड डे मिल योजना ने कितने
बच्चों को विद्यालय की तरफ आकर्षिक किया, इसका पता नहीं, लेकिन यह योजना
शुरु से ही किसी न किसी वजह से चर्चा में रही है। पहले विद्यालयों को
बच्चों के लिए भोजन बनाने का जिम्मा दिया गया था। शिकायतें मिली तो इस काम
को आउटसोर्सिग कर दिया गया। निजी संस्था के बारे भी शिकायतें मिलने लगीं।
भोजपुर के विद्यालयों में आपसी विवाद, खाता का संचालन नहीं होने से मिड डे
मिल योजना प्रभावित है। इस योजना से प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढ़ने
वाले बच्चों के नामांकन में ठहराव आया है। यह बातें मध्याह्न भोजन योजना
के प्रभारी संग्राम सिंह ने बताई। वर्ष 2009-2010 तक मध्याह्न भोजन योजना
के लिये भोजपुर को कुल 43 करोड़ 16 लाख 49 हजार 900 रुपये की राशि प्राप्त
हुई। जिसमें 30.016 करोड़ खर्च हुये। अब तो जिलाधिकारी के जनता दरबार में
भी विद्यालयों में मिड डे मिल योजना बंद होने की शिकायत आने लगी है।
अधिकांश विद्यालयों में केवल कागजों में ही मिड डे मिल योजना चलती है।
भभुआ से हमारे प्रतिनिधि के अनुसार कैमूर जिले में मिड डे मिल योजना के
तहत विद्यालयों में पढ़ने वाले एक से आठ वर्ग तक के छात्र-छात्राओं को
मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। विद्यालय शिक्षा समिति की देखरेख
में बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। परंतु 15 फरवरी 2010
से एनजीओ द्वारा जिले के दोनों अनुमंडलों के 277 विद्यालयों में बना बनाया
भोजन सप्लाई किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि मिड डे मिल
योजनाके अंतर्गत एक से पांच वर्ग तक के बच्चों पर दो रुपया 77 पैसा व छह
से आठ वर्ग के बच्चों पर चार रुपया,तीन पैसे की दर से खर्च किया जाता है।
इसके अलावा एक से पांच वर्ग तक के बच्चों को सौ ग्राम चावल, छह से आठ वर्ग
के बच्चों को एक सौ पचास ग्राम चावल दिया जाता है। मध्याह्न भोजन
निर्धारित मीनू के तहत दिया जाता है। अप्रैल से जून तक के लिए 16 हजार 900
क्विंटल चावल का आवंटन किया गया है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के लाख
प्रयास के बावजूद विद्यालयों में एनजीओ के माध्यम से बच्चों को इतना घटिया
किस्म का भोजन दिया जा रहा है कि बच्चे खाना तो दूर,उसे देखना भी पसंद
नहीं करते। कई बीमार पड़ गये। घटिया भोजन का मामला जिलाधिकारी के जनता
दरबार तक पहुंचा। इस मामले पर अनुमंडल पदाधिकारी सह प्रभारी मध्याह्न भोजन
बहादुर राम ने बताया कि एनजीओ से इस मामले में तीन बार जवाब तलब किया जा
चुका है। जिले के दस विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने भोजन लेने से इंकार
कर खाना वापस किया।
सासाराम से हमारे प्रतिनिधि ने खबर दी है कि रोहतास जिले में मध्याह्न
भोजन योजना में घपला ही घपला है। प्रशासन के वरीय अधिकारियों द्वारा दी गई
रिपोर्ट में एमडीएम में व्याप्त भ्रष्टाचार की कलई खुलती है। जिले के 24
सौ से अधिक विद्यालयों में एमडीएम शिक्षकों व कार्य एजेंसियों के लिए
कामधेनु बनी है। कही छात्रों की गलत उपस्थिति दिखा राशि गोलमाल की जा रही
है। तो कहीं छात्रों को घटिया भोजन परोस कर जेब भरा जा रहा है। सासाराम
एसडीओ अनिल कुमार सिन्हा ने महिला समाख्या सोसायटी द्वारा संचालित
प्रा.वि.सिकुई में व्याप्त गड़बड़ी की रिपोर्ट डीएम को सौंप सतत निगरानी की
आवश्यकता जतायी थी। मई के अंतिम सप्ताह में मध्य विद्यालय नाद में विषाक्त
भोजन खाने से 130 छात्र-छात्राएं बीमार पड़ गए थे। एमडीएम प्रभारी राजदेव
राम की माने तो पूर्व के एमडीएम प्रभारी द्वारा एक करोड़ से अधिक राशि की
अवैध निकासी की गई थी। जिसके विरुद्ध उनपर प्राथमिकी तक दर्ज है। लेकिन
राशि की वसूली नहीं हो पाई।
बक्सर से हमारे संवाददाता के अनुसार बक्सर जिले में मिड डे मिल योजना
अधिकारियों के अवैध कमाई का जरिया बन गई है। बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण
भोजन मिले इसके लिये यहां सेंट्रल किचेन से विद्यालयों में खाना भेजने की
योजना धरातल पर उतारी गई। बावजूद कभी कीड़े मिलने की शिकायत तो कभी
गुणवत्ता से रहित भोजन मिलने की बच्चों की शिकायत मिलती रहती है। वहीं
ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में बनाये जा रहे भोजन का हाल तो और खराब है।
भोजन को देख बच्चे स्कूल बिदक स्कूल छोड़ दे रहे हैं।