पटना जोत का रकबा घटने के कारण अधिकतर किसान
कृषि यंत्रों की खरीद करने की स्थिति में नहीं हैं। कृषि यंत्रों में
खराबी होने पर मरम्मत अलग समस्या है। इन सभी समस्याओं के निराकरण के लिए
प्रत्येक जिले में फार्म मशीनरी बैंक खोले जायेंगे। इसको व्यवसाय के रूप
में संचालित किया जायेगा। राशि की व्यवस्था राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से
से होगी।
बिहार से ही उम्मीद
पैदावार में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विभिन्न
योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान किया गया है। कृषि मंत्रालय को
बिहार में ही पैदावार में वृद्धि की उम्मीद है। हरित क्रंाति का लाभ इस
प्रदेश में नहीं उठाया गया है। कृषि यंत्रों का इस्तेमाल भी बहुत कम हुआ
है। हरित क्रांति का सबसे अधिक लाभ पंजाब व हरियाणा ने उठाया है। इन
राज्यों ने खाद व कीटनाशक दवाओं का इतना उपयोग किया कि अब पैदावार में
गिरावट होने लगी है। भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो रही है। ऐसी स्थिति
में बिहार में दूसरी हरित क्रांति होगी। इसमें कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण
योगदान है। कृषि यंत्रों को सहजता से उपलब्धता के लिए फार्म मशीनरी बैंक
की स्थापना को उपयुक्त माना जा रहा है। कृषि विभाग के अनुसार प्रयोग सफल
होने पर इसकी स्थापना सभी प्रखंडों में होगी। इसका विस्तार विभिन्न चरणों
में होगा।
उचित किराये पर मिलेंगे यंत्र
मशीनरी बैंक के संचालकों द्वारा किसानों को उचित किराये पर कृषि यंत्र
की सेवा उपलब्ध करायी जायेगी। बैंक में ट्रैक्टर, लैंड लेवलर ,पावर टिलर ,
रोटावेटर , हार्वेस्टर, , टिलेज उपकरण, बुआई,रोपनी, फसल कटाई व पौधा
संरक्षण के उपकरण रहेंगे। मशीनरी बैंक को कृषि के क्षेत्र में एक नयी
क्रांति के रूप में माना जा रहा है। इसका लाभ लघु से सीमांत किसान तक उठा
सकेंगे। बैंक से तकनीकी विशेषज्ञ भी जुड़े रहेंगे। कृषि विभाग के अनुसार
किसानों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराना विभाग की जिम्मेवारी है। इसके लिए
किसानों को कृषि यंत्रों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को गम्भीरता से लेना
है।