रोहतक, जागरण संवाददाता : टेट का सामान लाना हो या भट्ठें से ईटे मंगवानी
हो, ट्रैक्टर-ट्राली सबसे सरल साधन बना हुआ है। इनका व्यावसायिक प्रयोग कर
लोग टैक्स की चोरी कर रहे है। ट्रैक्टर-ट्राली के कारण शहर में यातायात
व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
जानकारी के अनुसार, ट्रैक्टर-ट्राली का व्यावसायिक कार्यो में प्रयोग
बढ़ता जा रहा है। ईट भट्ठों, टेट हाउसों, मिट्टी डालने जैसे कामों में
इनका प्रयोग हो रहा है। शहर में ऐसे दर्जनों ट्रैक्टर व ट्राली है, जो
व्यावसायिक कार्यो में जुटे हुए है। इनमें न केवल क्षमता से अधिक भार
ढोकर, बल्कि व्यावसायिक अनुमति न लेकर टैक्स की चोरी भी की जा रही है।
इसके अलावा टै्रक्टर व ट्रालियां यातायात प्रभावित करने का भी कारण बने
हुए है। इनके कारण अक्सर सड़क पर जाम लगा रहता है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत
ट्रैक्टर व ट्रालियों के व्यावसायिक प्रयोग पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद
इनका कृषि कार्यो के बजाय व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस भी
इसे रोकने में बेबस नजर आ रही है। हालांकि पुलिस प्रशासन ऐसे
ट्रैक्टर-ट्राली चालकों के चालान कर रही है, किंतु परिणाम नजर नहीं आ रहे
है।
यातायात पुलिस के अनुसार, अब तक पुलिस विभाग एक दर्जन के करीब ट्रैक्टरों
के चलान कर चुका है। ट्रैक्टर व ट्राली के व्यावसायिक प्रयोग पर रोक है।
जिसके लिए चालकों के चालान किए जाते है। इसके अलावा रिफ्लेक्टर नहीं होने
पर भी इनके चालान किए जा रहे है। रात के समय सड़कों पर दौड़ने वाले ट्रैक्टर
हादसों का कारण बनते हैं। इनमें न तो रिफ्लेक्टर लगे होते है और न ही हेड
लाइटे दुरुस्त होती है। इस कारण दूर से आने वाले वाहनों को ये दिखाई नहीं
देते और हादसा हो जाता है।
हो, ट्रैक्टर-ट्राली सबसे सरल साधन बना हुआ है। इनका व्यावसायिक प्रयोग कर
लोग टैक्स की चोरी कर रहे है। ट्रैक्टर-ट्राली के कारण शहर में यातायात
व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
जानकारी के अनुसार, ट्रैक्टर-ट्राली का व्यावसायिक कार्यो में प्रयोग
बढ़ता जा रहा है। ईट भट्ठों, टेट हाउसों, मिट्टी डालने जैसे कामों में
इनका प्रयोग हो रहा है। शहर में ऐसे दर्जनों ट्रैक्टर व ट्राली है, जो
व्यावसायिक कार्यो में जुटे हुए है। इनमें न केवल क्षमता से अधिक भार
ढोकर, बल्कि व्यावसायिक अनुमति न लेकर टैक्स की चोरी भी की जा रही है।
इसके अलावा टै्रक्टर व ट्रालियां यातायात प्रभावित करने का भी कारण बने
हुए है। इनके कारण अक्सर सड़क पर जाम लगा रहता है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत
ट्रैक्टर व ट्रालियों के व्यावसायिक प्रयोग पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद
इनका कृषि कार्यो के बजाय व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस भी
इसे रोकने में बेबस नजर आ रही है। हालांकि पुलिस प्रशासन ऐसे
ट्रैक्टर-ट्राली चालकों के चालान कर रही है, किंतु परिणाम नजर नहीं आ रहे
है।
यातायात पुलिस के अनुसार, अब तक पुलिस विभाग एक दर्जन के करीब ट्रैक्टरों
के चलान कर चुका है। ट्रैक्टर व ट्राली के व्यावसायिक प्रयोग पर रोक है।
जिसके लिए चालकों के चालान किए जाते है। इसके अलावा रिफ्लेक्टर नहीं होने
पर भी इनके चालान किए जा रहे है। रात के समय सड़कों पर दौड़ने वाले ट्रैक्टर
हादसों का कारण बनते हैं। इनमें न तो रिफ्लेक्टर लगे होते है और न ही हेड
लाइटे दुरुस्त होती है। इस कारण दूर से आने वाले वाहनों को ये दिखाई नहीं
देते और हादसा हो जाता है।