नई
दिल्ली। आज जब दुनिया के तमाम अमीर देश आर्थिक संकट से उबरने के रास्ते
तलाश रहे हैं, उस वक्त भारत की आर्थिक विकास दर जोरदार रफ्तार पकड़े हुए
है। वित्त वर्ष 2009-10 की अंतिम तिमाही में जीडीपी में 8.6 प्रतिशत की
वृद्धि इसका साफ सबूत है।
इस विकास दर ने दुनिया के तमाम मुल्कों को चौंका दिया है। यही वजह है
कि अब कृषि प्रधान मुल्क को गांठने के लिए इन अमीर देशों ने अपनी कोशिशें
तेज कर दी हैं। यहां तक दुनिया के सबसे अमीर देशों के समूह ओईसीडी ने भारत
को अपना सदस्य बनाने के भी संकेत दिए हैं। यानी धनी मुल्कों के इस ब्लाक
में भारत का भी नाम शामिल हो सकता है।
अमेरिका, जापान, जर्मनी सहित 31 सदस्य देशों वाले आर्थिक सहयोग एवं
विकास संगठन [ओईसीडी] का कुल ग्लोबल उत्पादन में 60 प्रतिशत से अधिक का
योगदान है। ओईसीडी के डायरेक्टर [कर नीति एवं प्रशासन] जेफरी ओवेन्स ने
कहा कि ओईसीडी भारत के साथ अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करने की दिशा में
काम कर रहा है। इसमें भारत को ओईसीडी का सदस्य बनाने की संभावना पर भी
विचार करना शामिल है।
वर्तमान में भारत कर सूचना के आदान-प्रदान की पहल सहित विभिन्न
मुद्दों पर ओईसीडी के साथ काम कर रहा है। वह ओईसीडी की कुछ समितियों का
सदस्य भी है। संगठन ब्रिक [ब्राजील, रूस, भारत और चीन] देशों के साथ
संबंधों को मजबूत करना चाहता है। ये देश संगठन के विभिन्न कार्यो में खासा
योगदान कर सकते हैं।
आने वाले दिनों में एस्टोनिया, स्लोवेनिया और इजरायल के भी ओईसीडी से
जुड़ने के आसार हैं। आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर दुनिया के तमाम देशों को
परामर्श देने के साथ पेरिस का यह ब्लाक अंतरराष्ट्रीय कर मानकों को बनाने
पर भी काम कर रहा है।