नई
दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने
बृहस्पतिवार को घातक एच1 एन1 [स्वाइन फ्लू] का पहला स्वदेशी टीका
[वैक्सीफ्लू-एस] जारी किया और कहा कि शुक्रवार से यह टीका बाजार में
उपलब्ध हो जाएगा और इसकी कीमत केवल 350 प्रति खुराक होगी।
आजाद ने कहा कि आजादी के बाद यह इंफ्लूएंजा का यह पहला स्वदेशी टीका
है और यह कल से बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। अभी तक इंफ्लूएंजा का कोई भी
टीका उपलब्ध नहीं था और हमें इसके आयात में भारी रकम खर्च करनी पड़ रही थी।
स्वदेशी टीके के बाजार में आने से इस रोग के टीके के आयात में निर्भरता में कमी आएगी। इस टीके की अवधि एक साल है।
देश में इस रोग से एक साल की कम की अवधि में 1530 से अधिक लोगों की
मौत हो चुकी है और महाराष्ट्र , गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान सबसे अधिक
इसकी चपेट में है।
आजाद ने कहा कि अहमदाबाद की दवा बनाने वाली कैडिला कंपनी ने यह टीका
तैयार किया है। इसके अलावा तीन और कंपनियां सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया,
पुणे, नई दिल्ली की भारत बायोटेक और पनासिया बायोटेक इस स्वदेशी टीके के
निर्माण में लगी हुई है।
उन्होंने कहा कि केडिला ने इस टीके के निर्माण में विश्व स्वास्थ्य
संगठन द्वारा सिफारिश किए और उसके द्वारा उपलब्ध कराए गए इंफ्लूएंजा
स्ट्रेन का इस्तेमाल किया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह स्वदेशी टीका पूरी तरह सुरक्षित है और
सुरक्षा संबंधी सभी मानकों को ध्यान में रखकर और सभी आवश्यक परीक्षणों को
पूरा करने के बाद बाजार में उतारा गया है।
कैडिला कंपनी ने घोषणा की है कि वह सीजनल फ्लू का टीका भी जल्दी ही तैयार करेगी।
इस मौके पर टीके को बनाने वाली कंपनी कैडिला के अध्यक्ष और प्रबंध
निदेशक पंकज आर. पटेल भी मौजूद थे। पहले पटेल ने खुद इस टीके को लगाया,
जिसके बाद आजाद ने इसे लगाया।
आजाद ने कहा कि इस टीके के निर्माण के लिए क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे
और तीसरे चरण को पूरा कर लिया है और इसके लिए 18-60 आयु के 203 व्यक्तियों
और 60 साल से अधिक आयु के 66 व्यक्तियों पर इसका परीक्षण करने में सफलता
हासिल की। वर्तमान समय में इस स्वदेशी टीके का इस्तेमाल 18 से 60 साल तक
आयु के लोगों में ही किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस स्वदेशी टीके के निर्माण से पहले सरकार ने इस रोग
के इलाज में लगे हुए डाक्टरों, नर्सो और अर्द्धचिकित्साकर्मियों की
सुरक्षा के लिए विदेश के 15 लाख खुराक का आयात किया था, यह जितनी आवश्यकता
था उसका एक तिहाई हिस्सा था। विदेश से आयात के बाद सभी राज्यों को यह
खुराक सप्लाई कर दी गई और उनको इस रोग के इलाज में लगे लोगों को लगाने के
लिए कहा गया लेकिन अधिकांश बड़े राज्यों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई। अधिकांश
राज्यों ने इसका 50 प्रतिशत से कम इस्तेमाल किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहाकि वह शीघ्र ही सभी राज्यों के
मुख्यमंत्रियों और सचिवों को इस संबंध में अलग-अलग पत्र लिखेंगे और उनसे
डाक्टरों, नर्सो और अर्द्धचिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए भेजी गई
खुराक का पूरा पूरा इस्तेमाल करने को कहेंगे।
कैडिला कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पंकज आर पटेल ने कहा कि
कैडिला कंपनी हर साल इस टीके की 6-7.5 लाख खुराक तैयार करेगी। इन में से
करीब साढ़े चार लाख खुराक कल देश भर में बाजार में जारी की जाएगी , अन्य
तीन लाख खुराक का उत्पादन किया जा रहा है। इनके दो माह में बाजार में आने
की उम्मीद है।
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस साल 12 मार्च को एक फ्रांसीसी
कंपनी ‘सनोफी पास्चर’ को अपने उत्पाद भारत में बेचने की अनुमति दी थी।