जमुई
[जागरण संवाददाता]। बिहार में जमुई जिले के गांव सिरसिया की सभी महिलाएं न
केवल निरक्षर हैं बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक
गतिविधियों से भी अनभिज्ञ हैं। गांव के 90 फीसदी पुरुष भी निरक्षर हैं।
गांव में केवल 12 पुरुष ही साक्षर हैं, वे भी मैट्रिक पास नहीं है।
सिरसिया गांव की यह दशा सूबे में साक्षरता अभियान की उपलब्धियों पर प्रश्न
चिह्न लगाने के लिए काफी है।
जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव के 40 परिवारों की
कुल आबादी लगभग तीन सौ है। जिसमें लगभग 130 महिलाएं हैं। गांव में निवास
करने वाली एक भी महिला साक्षर नहीं है। गांव में केवल 12 युवक ही पढ़ना
लिखना जानते हैं। उग्रवाद प्रभावित इस गांव में कोई विद्यालय नहीं है।
गांव के 40 बच्चे भी शिक्षा से वंचित हैं। यहां से तीन किमी दूर रजला गांव
में एक प्राथमिक विद्यालय अवश्य है, लेकिन वह भी अक्सर बंद रहता है। इस
कारण गांव के बच्चे वहां भी पढ़ने नहीं जा पाते। इतना ही नहीं यहां के
लोगों को मुखिया के अलावा किसी भी पदाधिकारी या नेता के बारे में कोई
जानकारी नहीं है।
गांववासियों ने बताया कि हम लोगों के पास अपनी जमीन भी नहीं है। हम
लोग वन विभाग की जमीन पर बसे हैं। गांववासी पहाड़ व जंगलों से पत्ते तोड़कर
तथा दातून काटकर उन्हें बेचते है। यही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक विद्या सागर सिंह ने बताया कि मामले की
जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की
जाएगी। श्री सिंह ने रजला विद्यालय के बंद रहने के कारणों की भी जांच
कराने और संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही। हालांकि
उन्होंने कहा कि 35 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को साक्षर करने के लिए कोई
कार्यक्रम सरकार द्वारा संचालित नहीं है।