दलित हत्याकांड के लिए हरियाणा सरकार को लताड़

नई
दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 21 अपै्रल को हरियाणा के मिर्चपुर में कथित
रूप से उच्च जातियों के लोगों द्वारा दो दलितों की जघन्य हत्या और 150
गांवों में आग लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार को आडे़ हाथों लिया और
आगाह किया कि यदि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति हुई तो वह काफी गंभीर
रूख अपनाएगा।

न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति सी के प्रसाद की अवकाशकालीन
पीठ ने इस प्रकार की घटना को नहीं रोकने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की।
कथित तौर यह घटना दलित [वाल्मीकि] समुदाय वाले एक व्यक्ति के कुत्ते के
उंची जाति वाले जाट लड़कों पर भौंकने के कारण हुई।

पीठ ने कहा कि स्वीकार किया गया कि इसकी शुरूआत वाल्मीकि समुदाय से
संबंध रखने वाले एक कुत्ते के उंची जाति के लड़कों पर भौंकने के कारण शुरू
हुई। क्या यह लोगों की हत्या करने का आधार हो सकता है। ऐसे मामलों में तो
कुत्ते तक को नहीं मारा जाता अन्यथा एक भी कुत्ता जीवित नहीं रहता।

शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी वरिष्ठ वकील एच एस हुड्डा की दलील खारिज
करते हुए की। उन्होंने दलील दी थी कि यह घटना उस समय हुई जब दो समुदायों
के युवाओं के बीच मामूली मुद्दे पर कहासुनी हुई।

पीठ ने हरियाणा सरकार से यह हलफनामा लिया कि वह अगली सुनवाई तक आगजनी
में नष्ट हुए कुछ मकानों का पुनर्निर्माण करवाएगी और प्रत्येक प्रभावित
परिवार के कम से कम एक सदस्य को नरेगा या अन्य सरकार प्रायोजित योजना में
रोजगार मुहैया कराया जाए।

पीठ ने चेतावनी दी कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा में इस तरह की
घटनाएं बिना किसी संवेदना के बार बार घट रही हैं। हमें उम्मीद है कि इस
तरह की आगे कोई घटना नहीं होगी। यदि ऐसा हुआ और यदि न्यायालय ने राज्य की
विफलता पाई तो हम काफी गंभीर रूख अपनाएंगे।

राज्य सरकार जिस तरह इस घटना का अंदाजा लगाने और इसे रोकने में नाकाम रहीं, उस पर शीर्ष न्यायालय ने अप्रसन्नता जताई।

पीठ ने कहा कि एसएसपी, जिला आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने
संभावित घटना को रोकने के लिए क्या किया। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार
पूरी जांच करे और वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करे। थाना प्रभारी
या तहसीलदार के निलंबन से कोई असर नहीं पड़ेगा।

शीर्ष न्यायालय ने जिला आयुक्त, हिसार को नुकसान का जायजा लेने के लिए
राजधानी के वाल्मीकि मंदिर जाने का निर्देश दिया, जहां पीड़ितों ने फिलहाल
आश्रय ले रखा है। आयुक्त से जांच की रिपोर्ट चार हफ्ते के भीतर सौंपने को
कहा गया है।

पीठ ने हरियाणा के महाधिवक्ता से वकीलों की दो सदस्ईय समिति गठित करने
को कहा। यह समिति प्रभावित गांव और वाल्मीकि मंदिर जाकर कारणों का पता
लगाएगी और पीड़ितों की संपत्ति को हुए नुकसान का जायजा लेगी। यह समिति भी
न्यायालय को चार हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

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