नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : दिल्ली के कुछ
इलाकों में चल रहे तांगों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की एमसीडी ने जहां
पूरी तैयारी कर ली है। वहीं एमसीडी के इस फैसले के विरोध में तांगे वाले
अदालत की शरण में पहुंच गए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से भी
मांग की है कि वह एमसीडी के फरमान के मद्देनजर मामले में हस्तक्षेप करें।
विदित हो कि एमसीडी ने तांगे वालों को एक आदेश जारी कर 31 मई तक अपने
तांगे व घोड़े सीमा पार बेच उसकी पर्ची एमसीडी में जमा कराने के निर्देश
दिए गए थे। ऐसा इसलिए ताकि उन्हें तहबाजारी का लाइसेंस दिया जाए। मगर
तांगे वालों ने इसका विरोध करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने
याचिका दायर कर एमसीडी के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। मामले की
सुनवाई के लिए 14 जुलाई निर्धारित की गई है।
प्रथम चरण के तहत एमसीडी ने पुरानी दिल्ली इलाके से तांगों को फेज आउट
करने का फैसला लिया है, जिस पर आगामी 7 जून से कार्रवाई शुरू होगी। पुरानी
दिल्ली में कुल 132 तांगे वाले हैं, जिन्हे एमसीडी ने लाइसेंस जारी किया
था। इन्हें तांगे की जगह जीविका चलाने के लिए तहबाजारी का लाइसेंस दिया
जाएगा। हालांकि यमुनापार के शास्त्री पार्क में जिस जगह तहबाजारी का
लाइसेंस दिए जाने का एमसीडी ने फैसला लिया है उससे तांगे वाले खासे नाराज
हैं।
एमसीडी सिटी जोन के उपायुक्त कृष्ण कुमार के अनुसार अगले सप्ताह में
तांगा स्टैंड को हटाने व पुरानी दिल्ली इलाके में तांगे को प्रतिबंधित
करने की दिशा में कार्रवाई शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि सात जून को
तुर्कमान गेट स्थित तांगे स्टैंड को हटा दिया जाएगा। इसके बाद पुरानी
दिल्ली में तांगा पूरी तरह प्रतिबंध लग जाएगा। राष्ट्रमंडल खेल के दौरान
यातायात में तांगा सड़कों पर बाधक न बने इसलिए गत वर्ष 19 नवंबर को एमसीडी
स्थायी समिति ने तांगों पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। दिल्ली में
एमसीडी ने 232 तांगे वालों को लाइसेंस दे रखा है। इनमें से 170 ऐसे है,
जिनमें एक परिवार के पास एक ही लाइसेंस है।