बैतूल। बैतूल जिले के ठेठ ग्रामीण परिवेश
में पली बढ़ी किसान परिवार की सरकारी स्कूल में अध्ययनरत एक छात्रा ने
म.प्र हाई स्कूल परीक्षा में लालटेन की रौशनी में पढ़ाई कर बिना ट्यूशन और
कोचिंग के ही बैतूल जिले की प्रवीणता सूची में प्रथम स्थान प्राप्त किया
है। छात्रा की इस सफलता से शाला परिवार और उनके परिजन सहित ग्रामवासी खुशी
से फूले नहीं समा रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा मंडल मप्र की ओर से घोषित हाई स्कूल परीक्षा परिणाम
के साथ ही बैतूल जिले की प्रवीणता सूची भी घोषित की गई जिसमें प्रथम स्थान
पर शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय बैतूल की छात्रा दीपिका दरवाई के साथ शासकीय
हाईस्कूल खंडारा में अध्यनरत छात्रा कुमारी रवीना राठौर शामिल है। दोनों
छात्राओं को एक समान 568 अंक प्राप्त हुए हैं। इसमें रवीना राठौर का सीमित
संसाधनों के साथ जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करना काफी मायने रखता है।
रवीना ने खंडारा ग्राम के शासकीय स्कूल में अध्ययन कर जिले में प्रथम
स्थान प्राप्त किया है। रवीना की यह उपलब्धि इसलिए भी मायने रखती है कि
उसने बिना कोचिंग एवं मार्गदर्शन से सफलता पाई है। रवीना के पिता गब्बू
राठौर मध्यम वर्गीय किसान परिवार से हैं तथा स्वयं निरक्षर हैं जबकि मां
रेखा राठौर मात्र आठवीं तक शिक्षित हैं। ग्राम खंडारा में प्रतिदिन शाम से
रात एक बजे तक बिजली कटौती होती है। ऐसे में रवीना चिमनी की रौशनी उजाले
में पढ़ाई करती थी। मेधावी रवीना द्वारा चिमनी में पढ़ाई करने की बात जब
शाला प्राचार्य के के वरवड़े को पता चली तो उन्होंने रवीना के लिए एक
लालटेन की व्यवस्था की। रवीना रात में बिजली गुल होने पर प्रतिदिन उसी
लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करती थी। वहीं रात्रि में लाइट आने पर उठ कर
पढ़ाई प्रारंभ कर देती थी।
रवीना ने कहीं भी कोचिंग नहीं की और न ही किसी के पास ट्यूशन लगाई। घर
में भी ऐसा कोई नहीं था जो मार्गदर्शन कर सके। सिर्फ शिक्षकों द्वारा
स्कूल में पढ़ाए गए विषयों के आधार पर रवीना को हिंदी में 96, अंग्रेजी
में 90, संस्कृत में 86, गणित में 99, विज्ञान में 99 तथा सामाजिक विज्ञान
में 98 अंक प्राप्त कर सभी विषयों में विशेष योग्यता हासिल की है।
अपनी सफलता का श्रेय रवीना ने शिक्षकों के मार्गदर्शन तथा माता-पिता
के प्रोत्साहन को दिया है। रवीना आगे चलकर आईआईटी इंजीनियर बनना चाहती है।
उसकी लगन मेंहनत और परिश्रम को देखते हुए यह लक्ष्य भी असंभव नहीं है।
रवीना ने अपने सहपठियों को सीख दी है कि स्कूल में मन लगाकर पढ़ाई करें
तथा घर में उसे दोहरांए, सफलता अवश्य मिलेगी।