लंदन।
ग्लोबल वार्मिग यानी धरती के तापमान में वृद्धि का अध्ययन कर रहे
वैज्ञानिकों को चौंकाने वाला सूत्र हाथ लगा है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के
वैज्ञानिकों की राय में करीब 18 हजार साल पहले बड़ी मात्रा में कार्बन का
जमाव समुद्र के अंदर हुआ था। कार्बन के इसी जमाव ने अंतिम हिमयुग को खत्म
करने में अहम भूमिका निभाई थी।
विज्ञान पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि अंतिम
हिमयुग के दौरान समुद्र में कार्बन डाइआक्साइड का जमकर जमाव हुआ जिसके
चलते समुद्र के कार्बन डाइआक्साइड सोखने की प्रक्रिया धीमी पड़ती चली गई और
धरती पर उसकी मात्रा बढ़ती चली गई। कार्बन डाइआक्साइड को सीधे तौर पर धरती
पर तापमान बढ़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
प्रमुख शोधकर्ता डा. ल्यूक स्किनर ने अंटार्कटिका से लेकर दक्षिण
अफ्रीका तक के इलाके से समुद्री निक्षेपों का अध्ययन किया। स्किनर ने ये
निक्षेप समुद्र में फोरामिनीफेरा नामक रचनाओं से इकट्ठे किए।
डा. स्किनर और उनकी टीम ने इन निक्षेपों में मौजूद कार्बन-14 [सी-14-
कार्बन के आइसोटोप यानी समस्थानिक] की मात्रा का पता लगाया और उसकी तुलना
तात्कालिक वातावरण में पाए जाने वाले सी-14 की मात्रा से की। शोधकर्ताओं
ने यह पता लगाया कि समुद्र में कार्बन डाइआक्साइड को जमने में कितना समय
लगा।
बकौल स्किनर, ‘हमारे शोध से स्पष्ट है कि अंतिम हिमयुग यानी करीब 20
हजार साल पहले अंटार्कटिका के समुद्र में बड़ी मात्रा में कार्बन
डाइआक्साइड जमा हुआ थी। यह गैस समुद्र से गुबार के रूप में धीरे-धीरे सतह
पर आती रही। अध्ययन का मकसद यह पता करना भी है कि हिमयुग के दौरान कितनी
कार्बन डाइआक्साइड समुद्र में जमा हुई।’