नई
दिल्ली। काली कमाई की पनाहगाह माने जाने वाले स्विस बैंकों ने नया पैंतरा
चला है। इन बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में भारतीयों व अन्य विदेशियों
की जमा राशि पर कर लगाकर संबंधित सरकारों को तत्काल इस धन को देने की
पेशकश की है। हालांकि अपने ग्राहकों का ब्यौरा देने से इन बैंकों ने फिर
इन्कार किया है।
एक साल से भी अधिक समय से स्विट्जरलैंड सरकार पर इस बात के लिए दबाव
बनाया जा रहा है कि वह अपने यहां के बैंकों को विदेशी ग्राहकों के खातों
की जानकारी देने के लिए कहे। भारत में स्विस बैंकों में जमा काला धन एक
बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। संसद से लेकर सड़क तक यह मसला रह-रह कर
उठता रहा है। इस काले धन की वापसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कई
याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कई बार कह
चुके हैं कि भारत सरकार भारतीयों के काले धन को वापस लाने के लिए
स्विट्जरलैंड की सरकार व बैंकों से बातचीत हो रही है।
एक विश्वसनीय अनुमान के मुताबिक स्विस बैंकों में जमा रकम 500 अरब
डालर [करीब 25 लाख करोड़ रुपये] से 1400 अरब डालर [लगभग 70 लाख करोड़ रुपये]
के बीच बताई गई है। इसमें बड़ी हिस्सेदारी भारतीयों की है।
स्विस बैंकर्स एसोसिएशन [एसबीए] के एक उच्च अधिकारी ने कहा कि उनका
संगठन जमाधन पर प्रस्तावित फ्लैट रेट से विदहोल्डिंग टैक्स लगाने के लिए
राजी है। एसबीए स्विट्जरलैंड के बैंकों का शीर्ष संगठन है। इस अधिकारी ने
कहा कि इसके तहत तत्काल नकद धन जमाकर्ता देश की सरकार को उपलब्ध करा दिया
जाएगा। इस प्रस्ताव को लेकर यूरोपीय देशों से परामर्श किया गया है। इन
देशों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि अधिकारी ने यह नहीं बताया कि
स्विस बैंकों ने इस मामले में भारत के साथ अभी तक परामर्श किया है या
नहीं।
भारत एवं अन्य देशों के कर चोरों की काली कमाई रखने के लिए आलोचना झेल
रहे इन बैंकों ने एक और पेशकश भी की है। इसके तहत स्विस बैंकों ने अपने
लाकरों में केवल उन्हीं संपत्तियों को ही रखने का निर्णय किया है, जिन पर
टैक्स चुकाया जा चुका है। हालांकि साथ ही इन बैंकों ने कर मामले में अपने
किसी ग्राहक के बेईमान होने की सूरत में कोई भी जिम्मेदारी लेने से इन्कार
किया है।
स्विस बैंकिंग उद्योग के लिए भावी रणनीति से जुड़े एक हालिया दस्तावेज
में एसोसिएशन ने अपने ग्राहकों की कर मामले में ईमानदारी के लिए किसी भी
तरह की जांच या इस संबंध में किसी तरह के प्रयास की संभावना एक सिरे से
खारिज की। यह प्रपत्र स्विस सरकार के परामर्श से तैयार किया गया है।