लखनऊ।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री कुंवर जितिन प्रसाद का कहना है
कि युवाओं की तरक्की के बिना देश की तरक्की की बात नहीं सोची जा सकती। यह
बात यूपीए सरकार महसूस करती है और इसलिए उसकी प्रतिबद्धता युवाओं की
तरक्की के मार्ग प्रशस्त करने की है। सभी मंत्रालय युवाओं से जुड़ी योजनाएं
बना रहे हैं। बकौल जितिन, युवाओं को रोजगार चाहिए, बेरोजगारी भत्ता नहीं।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने ‘राजीव गांधी ग्रामीण वितरक योजना’ के जरिये हर
ब्लाक में युवाओं को गैस एजेंसी देने की शुरुआत कर दी है। इसमें महिला
सशक्तीकरण को शामिल करते हुए वितरक की पत्नी को भी एजेंसी का भागीदार
बनाये जाने का प्रावधान है। खेल मंत्रालय नेहरू युवा केंद्र के जरिये
युवाओं की नियुक्तियां कर रहा है। आने वाली चुनौतियों से युवाओं को निपटने
के लिए शिक्षा में व्यापक परिवर्तन किये जा रहे हैं।
जितिन प्रसाद रविवार को लखनऊ में थे। विशेष संवाददाता प्रेम सिंह ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल युवा चेहरों को लेकर युवाओं को
बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन उन्हें बहुत निराशा हाथ लगी, आप का क्या कहना
चाहेंगे?
मैं इससे सहमत नहीं हूं। युवाओं को कांग्रेस ने ही सर्वाधिक
प्रतिनिधित्व के मौके दिये हैं। इसी की वजह से वर्ष 2004 के मुकाबले तीन
गुना युवा सांसद जीतकर आये। उनमें से एक दर्जन लोगों को केंद्रीय
मंत्रिमंडल में स्थान मिला। आईटी, कामर्स, सड़क परिवहन, पेट्रोलियम, भारी
उद्योग सहित कई और मंत्रालयों में युवा चेहरों को शामिल किया गया है और
सभी मंत्रालयों में बड़े पैमाने पर युवाओं के हितों को देखते हुए योजनाएं
बनायी और क्रियान्वित की जा रही हैं।
मनरेगा और कर्ज माफी जैसी कोई लोकप्रिय योजना राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए नहीं बन सकी?
राजीव गांधी ग्रामीण वितरक योजना के तहत हम हर ब्लाक में युवाओं को
गैस एजेंसी आवंटित करने जा रहे हैं। युवाओं की कठिनाइयों को देखते हुए
मंत्रालय ने इसमें अन्य गैस एजेंसियों के लिए निर्धारित मानकों के मुकाबले
लचीला रुख अपनाया है। युवाओं को सेवा सुरक्षा चाहिए। वह हम दे रहे हैं। हम
युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने के बजाय रोजगार देने के पक्षधर हैं।
‘मिशन 2012’ में आपकी युवाओं से क्या उम्मीद है?
युवाओं को परिवर्तन के लिए आगे आना होगा। मिशन 2012 का उद्देश्य
प्रदेश को उन सरकारों से मुक्त कराना है जो प्रदेश को खोखला कर रही हैं।
गैर कांग्रेसी सरकारों ने प्रदेश को चूसना शुरू कर दिया।
जातिगत जनगणना को आप सही मानते हैं या नहीं?
इस मसले पर ‘इम्पावर्ड ग्रुप’ की राय अभी आनी शेष है।
पेट्रोल, डीजल व गैस के बढ़ते दामों से आम आदमी त्रस्त है। कंपनियां
मालामाल हो रही हैं और खबर है कि आने वाले दिनों में दाम और बढ़ने जा रहे
हैं?
-पेट्रोल और डीजल के दाम तो आयातित क्रूड आयल के अन्तर्राष्ट्रीय
दामों में उतार-चढ़ाव पर काफी हद तक निर्भर करते हैं। आज भी एक सिलेंडर पर
केंद्रसरकार 285 रुपये का अनुदान देती है। प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर
अनुदान के कारण वर्ष 2010-11 में हमें एक लाख करोड़ का घाटा होने का अनुमान
है। यह बढ़ भी सकता है। फिर भी केंद्र सरकार की कोशिश है कि आम आदमी पर
न्यूनतम बोझ पड़े।