नई
दिल्ली। वित्त वर्ष 2009-10 के सोमवार को जारी होने वाले सकल घरेलू उत्पाद
[जीडीपी] के आंकडे़ अर्थव्यवस्था में नया उत्साह जगा सकते हैं, क्योंकि
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये आंकडे़ 7.2 प्रतिशत के
पूर्वानुमान से ऊंचे हो सकते हैं।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन [सीएसओ] ने इससे पहले वर्ष की जीडीपी वृद्धि
के घोषित आंकड़ों में 2009-10 के दौरान 7.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया
है। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 7.5 प्रतिशत
तक रहने का अनुमान व्यक्त किया है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसके
साथ ही पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत से 9.3
प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। जीडीपी आंकड़े सोमवार को जारी होंगे।
इसमें 2009-10 की सालाना वृद्धि के साथ साथ वर्ष की चौथी तिमाही [जनवरी से
मार्च 2010] के वृद्धि आंकडे़ भी जारी होंगे।
रेलीगेयर के जय शंकर ने कहा कि चौथी तिमाही के जीडीपी आंकड़े अपेक्षा
से अधिक रहकर हमें हतप्रभ कर सकते हैं, यह 9.3 प्रतिशत हो सकते है। बीते
साल की पहली तीन तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 6.1 प्रतिशत, 7.9
प्रतिशत तथा छह प्रतिशत रही थी।
मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने हाल ही में कहा था कि वित्त वर्ष
2010 में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत रहेगी। क्रिसिल के मुख्य
अर्थशास्त्री डी जोशी का भी मानना है कि जीडीपी वृद्धि सरकार के अग्रिम
अनुमानों से बेहतर रहेगी। उन्होंने कहा, चौथी तिमाही में मुझे 8.7 प्रतिशत
वृद्धि की अपेक्षा है, और पूरे वित्त वर्ष में इसके 7.3 प्रतिशत रहने का
अनुमान है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने चौथी तिमाही में वृद्धि दर 8.6
प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जिससे कुल मिलाकर आंकड़ा सरकारी अनुमान से
अधिक होगा। एक्सिस बैंक के अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने कहा, चौथी
तिमाही में जीडीपी 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, पूरे वित्त वर्ष के लिए
यह 7.2 प्रतिशत रहेगी जो सरकारी अनुमान के अनुरूप ही है। वैश्विक मंदी के
चलते वर्ष 2008-09 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई।