चुनाव से बंगाल में पहले होगी दूसरी हरित क्रांति

नई
दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। विधानसभा चुनाव होने के नाते पश्चिम बंगाल
में सबसे पहले ‘हरित क्रांति’ होगी। केंद्र सरकार ने बजट में घोषित 400
करोड़ रुपये की दूसरी हरित क्रांति योजना में से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा
की राशि पश्चिम बंगाल को दे दी है। यह वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का गृह
राज्य भी है। दूसरी हरित क्रांति के लिए चुने गए बाकी पांच राज्यों को
थोड़ा-थोड़ा ‘चूरन’ बांट दिया गया है।

उन्नतशील बीज, पौष्टिक तत्वों वाली खाद और सिंचाई की सुविधा से धान,
गेहूं और दलहन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए शुरू होने वाली हरित क्रांति
में शामिल पांच अन्य राज्यों को नजरअंदाज किया गया है। पश्चिम बंगाल में
विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए उसकी तैयारियों के लिए केंद्रीय योजनाओं
का ज्यादा से ज्यादा धन वहां खर्च किया जा रहा है। इसी क्रम में हरित
क्रांति के लिए आवंटित 400 करोड़ रुपये के बजट में से 103 करोड़ रुपये अकेले
पश्चिम बंगाल को दे दिया गया है। इस बारे में कृषि मंत्रालय के अधिकारियों
का तर्क है कि धान की पैदावार में पहले नंबर पर रहने वाले पश्चिम बंगाल
में धान की उत्पादकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है। उसके ज्यादातर हिस्सों में
उचित बीज व उपयुक्त खाद की उपलब्धता न होने से पैदावार बहुत कम है। इसके
अलावा हरित क्रांति के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़
और उड़ीसा का चयन किया गया है। इन राज्यों में भूजल की पर्याप्त उपलब्धता
और उपजाऊ भूमि होने के बावजूद फसलों की पैदावार बहुत कम है। यहां छोटी जोत
के किसानों की संख्या 80 से 90 फीसदी तक है और कृषि उत्पादकता की
संभावनाएं बहुत अधिक हैं। इन्हीं संभावनाओं के भरोसे सरकार दूसरी हरित
क्रांति का सपना संजो रही है, लेकिन बजट के बंटवारे में प्रमुख राज्यों को
नजअंदाज किया गया है।

उत्तर प्रदेश जैसे राज्य को 57 करोड़ रुपये, बिहार को 63 करोड़ रुपये,
झारखंड को 29 करोड़ रुपये और छत्तीसगढ़ को 67 करोड़ रुपये का आवंटन करने से
साफ है कि इन्हें तवज्जो नहीं दी गई है। जबकि अकेले पश्चिम बंगाल के
हिस्से 103 करोड़ रुपये का आवंटन आया है। यह राशि भी बहुत अधिक नहीं है,
लेकिन आवंटित बजट के वितरण पर अंगुली जरूर उठने लगी है।

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