वैज्ञानिकों
ने चेतावनी दी है कि घातक फ़ंगस यानि फफूंद की एक नई ज़हरीली किस्म दुनिया
की गेहूं की आपूर्ति के लिए बड़ा ख़तरा बन सकती है. रुस में हुई एक बैठक
के बाद शोधकर्त्ताओं ने इस ख़तरनाक किस्म की फफूंद के बारे में नई
जानकारियां दी हैं.
उनके मुताबिक कुछ देशों में इस घातक फफूंद ने क़रीब 80 फ़ीसदी तक गेहूं की फ़सल तबाह कर दी है.
यूजी99
नाम की ये भूरे रंग की फफूंद एक दशक पहले पूर्वी अफ़्रीका में खोजी गई थी.
ये गेहूं की टहनियों पर आक्रमण कर उन्हें खोखला कर देती है.
वैज्ञानिकों
ने घातक फफूंदों का मुक़ाबला कर सकने वाली गेहूं की कई किस्में तैयार की
हैं लेकिन अफ़्रीका में पाई गई यूजी99 फफूंद की इस नई ज़हरीली किस्म के
सामने किसी का ज़ोर नहीं चल रहा.
शोधकर्त्ताओं के
अनुसार ये ज़हरीली फफूंद एक दिन में क़रीब 160 किलोमीटर का फ़ासला तय कर
सकती है और इस वजह से इसे रोक पाना मुश्किल हो जाता है.
तबाही
कीनिया
में ये समस्या एक महामारी की शक्ल अख़्तियार कर चुकी है. वहां पिछले कुछ
वर्षों में गेहूं की कई फ़सलें 80 फ़ीसदी तक बर्बाद हो चुकीं हैं.
"पिछले तीस सालों में गेहूं कि ऐसी किस्में तैयार की गईं हैं जो ऐसे
फफूंदों से लड़ सकती हैं. लेकिन इस नई किस्म की फफूंद से विश्व की 90
प्रतिशत गेहूं ख़तरे में पड़ सकती है. गेहूं विश्व भर में 30 प्रतिशत से
भी ज़्यादा लोगों का मुख्य भोजन है और इसलिए ये एक बड़ा ख़तरा है."
प्रोफ़ेसर रॉनी कॉफ़मैन, कॉर्नेल विश्वविद्यालय
चिंता की बात ये है कि नए शोध के मुताबिक गेहूं पर वार करने वाली ये ख़तरनाक फफूंद लगातार फ़ैलती जा रही है.
अमरीका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रॉनी कॉफ़मैन गेहूं को लगने वाली बीमारियों के विशेषज्ञ हैं.
उन्होंने
इस नए फफूंद के चिंताजनक होने का कारण कुछ यूं बताया, “पिछले तीस सालों
में गेहूं कि ऐसी किस्में तैयार की गईं हैं जो ऐसे घातक फफूंदों से लड़
सकती हैं. लेकिन इस नई किस्म की फफूंद से विश्व की 90 प्रतिशत गेहूं ख़तरे
में पड़ सकती है. गेहूं विश्व भर में 30 प्रतिशत से भी ज़्यादा लोगों का
मुख्य भोजन है और इसलिए ये एक बड़ा ख़तरा है.”
वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती कुछ देशों का इस मसले पर जानकारी का आदान-प्रदान करने से आनाकानी करना बनी हुई है.
शोधकर्त्ताओं का कहना है कि अगर दुनिया को गेहूं के इन घातक फफूंदों से जंग जीतनी है तो जेनेटिक इंजीनीरिंग को अपनाना होगा.
गेहूं विश्व भर में खाने का मुख्य साधन है. इससे दुनिया को प्रतिदिन मिलने वाले कैलरी का बीस फ़ीसदी हिस्सा मिलता है.