मनरेगा: सीमांत कृषकों को तोहफा

देहरादून। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत अब सीमांत एवं लघु किसान अपनी
भूमि पर सिंचाई, उद्यानीकरण, पौधरोपण एवं भूमि विकास संबंधी कार्य कर
सकेंगे। योजना में अनुसूचित जाति,जनजाति एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन
करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। योजना फिलहाल चार ब्लाकों में
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई है। एफआरडीसी सुभाष कुमार ने सचिव
ग्राम्य विकास, कृषि तथा समस्त जिलाधिकारियों को इस संबंध में पत्र जारी
किया है। इसमें कहा गया है कि पायलट परियोजना के रूप में पौड़ी जिले के
पोखड़ा एवं यमकेश्वर, देहरादून के रायपुर तथा नैनीताल के कोटाबाग विकास
खंडों को इस योजना में शामिल किया गया है। योजना का मुख्य उद्देश्य अटल
आदर्श ग्रामों के अनुसूचित जाति, जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे तथा लघु एवं
सीमांत कृषकों को योजना का लाभ पहुंचाना है।

पायलट परियोजना के रूप में चयनित विकास खंडों के प्रत्येक न्याय
पंचायत तथा अटल आदर्श ग्रामों में एक साथ कम से कम दो सौ नाली भूमि का चयन
किया जाएगा। सहायक निदेशक जलागम ग्रामवार परियोजना तैयार करेंगे, तकनीकी
अनुमोदन के बाद जिलाधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा। जिलाधिकारी शासन में
गठित मनरेगा के राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत
करेंगे। परियोजना का क्रियान्वयन कृषि विभाग द्वारा किया जाएगा। पत्र में
कहा गया है कि 30 जून 2010 तक परियोजना स्वीकृति कर ली जाए तथा मार्च 2011
तक परियोजना का कार्यान्वयन सुनिश्चित कर लिया जाए।

भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 में
संशोधन की छूट राज्य सरकार को गजट नोटिफिकेशन में ही दी गई है। इस छूट का
लाभ संभवत: राज्य सरकार ने पहली बार उठाते हुए यह कदम उठाया है। इसे इसलिए
भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि राज्य सरकार जल्दी ही यदि इस पायलट
प्रोजेक्ट को सभी ब्लाकों में लागू करती है तो सीमांत किसानों के लिए यह
योजना अत्यधिक लाभकारी साबित होगी। राज्य के अधिकांश किसान सीमांत श्रेणी
में ही आते हैं। भूमि विकास, उद्यानीकरण, सिंचाई तथा पौधारोपण की कई
योजनाएं अब तक धनाभाव के कारण लटकी रह जाती हैं। मनरेगा में यदि ये कार्य
होने लगेंगे तो लटकी हुई योजनाएं पूरी हो सकेंगी।

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