रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के नक्सल
प्रभावित बस्तर संभाग केआदिवासी परिवारों की मासिक आमदनी पांच हजार रुपए
तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
अधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल
बस्तर संभाग में गरीबी रेखा श्रेणी के 50 हजार परिवारों को हर महीने कम से
कम पांच हजार रुपए की आमदनी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक तैयारियां
शुरू की गई है। इन परिवारों को विभिन्न रोजगारमूलक योजनाओं में शामिल किया
जाएगा। इसके लिए ग्राम समूह और परिवार चिन्हित किए जा चुके है।
उन्होंने बताया कि एक आकलन के अनुसार बस्तर संभाग में गरीबी रेखा
श्रेणी के लगभग दो लाख 94 हजार परिवार है। इनमें से प्रथम चरण में 50 हजार
परिवारों की आय कम से कम पांच हजार रु. मासिक आमदनी तक पहुंचाने का लक्ष्य
रखा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के तहत प्रत्येक आदिवासी परिवारों को
लाभान्वित करते हुए उनकी आमदनी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इस लक्ष्य को
प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन के अंतर्गत स्व.
सहायता समूहों की आर्थिक गतिविध्यिों में भी अधिक से अधिक संख्या में
परिवारों को शमिल किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि बस्तर संभाग के प्रत्एक विकासखंड लघु और
सीमांत किसानों को सर्वेक्षण हो चुका है। इस सर्वेक्षण के आधार पर उनको
राजगार मूलक योजनाओं में जोड़ा जाएगा। वहीं बस्तर संभाग में रेशम कृमि पालन
के अंतर्गत लगभग आठ करोड़ रुपए के कोसे का उत्पादन होता है। इसे ध्यान में
रखकर बस्तर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में कोसा धागाकरण और कोसा
वस्त्र उत्पादन इकाई शुरू करने के बारे में विचार किया जा रहा है। रेशम
कृमि पालन के जरिए कोसा ककूनों के संग्रहण और रेशम उद्योग शुरू होने पर
इसमें भी बड़ी संख्या में बस्तर केआदिवासियों को रोजगार मिल सकेगा।
अधिकारियों ने बताया कि पूरे संभाग में स्थानीय स्तर पर सिंचाई सुविधाओं के विकास पर भी जोर दिया गया है।
गौरतलब है कि बस्तर राज्य का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित संभाग है तथा
पिछले लगभग डेढ़ महीने में यहां नक्सलियों के हमले में करीब डेढ़ सौ लोगों
की मौत हुई है।