नई
दिल्ली। सरकार को दोहा दौर की वार्ता में किसानों के हितों के संरक्षण से
किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के एक अध्ययन में
यह बात कही गई है।
अध्ययन में कहा गया है कि जहां तक कि खाद्य सुरक्षा और गरीब किसानों
की बात है, भारत को विशेष सुरक्षा तंत्र [एसएसएम] से किसी तरह का समझौता
नहीं करना चाहिए। कम से कम जब तक विकसित देशों को कृषि के विशेष संरक्षण
के प्रावधान उपलब्ध हैं।
एसएसएम एक ऐसा उपाय है, जिसका मकसद गरीब किसानों का संरक्षण करना है।
आयात बढ़ने या कीमतों में गिरावट की स्थिति में इसके तहत डब्ल्यूटीओ के
सदस्य देशों को कुछ कृषि उत्पादों पर विशेष शुल्क लगाने की अनुमति दी जाती
है।
एसएसएम एक प्रमुख वजह है, जिससे 2001 में शुरू हुई दोहा दौर की वार्ता
पूरी नहीं हो पा रही है। विश्व नेताओं ने अब 2010 में दोहा दौर की वार्ता
को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।