पटना राज्य के ज्यादातर सांसदों ने अपने
कर्तव्यों की केंचुल उतार लोकहित की अपनी जिम्मेदारियां स्थानीय प्रशासन
के जिम्मे छोड़ दी है। लिहाजा कहीं सांसद निधि की राशि विमुक्त न हो सकी,
तो कहीं जमीन पर उसका कोई उपयोग नदारद है। लगता है कि पहले की तरह वायदों
को जमीन पर उतारने की नहीं , कुछ और वायदे करते जाना, सांसदों का राजनीतिक
शगल हो गया है। जनता यह खेल देखते रहने को अभिशप्त है। पश्चिमी चंपारण के
सांसद डा.संजय जायसवाल चुनाव के दौरान किए गये अपने वायदों पर खरे तो नहीं
उतरे लेकिन उन पर अमल का प्रयास करते दिखे। उनके प्रयास से एक वर्ष में कई
योजनाओं को स्वीकृति तो मिली लेकिन ज्यादातर पूरी नहीं हो सकी हैं। सांसद
प्रतिनिधि दीपेन्द्र सर्राफ के अनुसार श्री जायसवाल ने रक्सौल स्थित
इंडियन आयल के डिपो को स्थानांतरित करवाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार से
स्वीकृत करा लिया है। इसके अलावा पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण में 56-56
करोड़ की योजनाओं को स्वीकृत करवाने में भी सफल रहे है। पेशे से चिकित्सक
सांसद श्री जायसवाल अब तक जिला मुख्यालय के स्टेशन को माडल स्टेशन बनवाने
और जिले के पर्यटन केन्द्रों को रेलवे से जुड़वाने की दिशा में गंभीर नहीं
हो पाये हैं।
मुजफ्फरपुर के जनता दल-यू के सांसद कैप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद चुनाव
जीतने के बाद लगातार क्षेत्र के संपर्क में हैं। चुनाव के समय उन्होंने
क्षेत्र में सड़क, नाला तथा शहर को जलजमाव से निजात दिलाने का वायदा किया
था। इस दिशा में प्रयास जारी है। सांसद प्रतिनिधि हरिशंकर भारती ने बताया
कि दो करोड़ की योजना की अनुशंसा की गई है, जिसमें से एक करोड़ की योजना पर
काम चल रहा है। योजना में ज्यादातर सड़क व नाले का काम शामिल है। महानगर
में 50 लाख की लागत से सड़क की कई योजनाओं का शिलान्यास किया गया है।
पूर्वी चंपारण के सांसद राधामोहन सिंह ने चुनाव के दौरान जनता से कोई
खास वायदा नहीं किया था, लेकिन चुनाव जीतने के तत्काल बाद उन्होंने
पिपराकोठी स्थित कृषि विकास केंद्र का कायाकल्प कराने का संकल्प जताया था।
उन्होंने हाल ही में वहां प्रशासनिक भवन और आवासीय भवन का निर्माण कार्य
शुरू कराया। इतना ही नहीं, उन्होंने सांसद निधि से वहां मुख्य द्वार के
निर्माण की घोषणा भी की है। लेकिन श्री सिंह के सांसद निधि से कितनी राशि
विमुक्त हो चुकी है, कोई बताने को तैयार नहीं है।
अपने तेवर व जुझारूपन से अलग पहचान बना चुकीं शिवहर की सांसद रमा देवी
द्वारा लोगों के बीच रहकर उनके दर्द को नजदीक से समझने का उनका प्रयास हर
जगह सराहा जा रहा है। एक साल के दौरान उनके अधिकतर वायदे धरातल पर नजर आने
लगे हैं। सांसद हर मोर्चे पर एक साथ काम करने में विश्वास रखती हैं। लोगों
को उच्च शिक्षा मुहैया कराने के उनके वायदों में पालीटेक्निक व डिग्री
कालेज की स्थापना की बात शामिल थी। इस पर काम आगे बढ़ चुका है। मारड़ पुल व
पिपराही पुल पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। धनकौल पुल बनाने के लिए
उनकी लड़ाई जारी है। उनका माननाहै कि शिवहर संसदीय क्षेत्र में सीतामढ़ी व
मोतिहारी विधानसभा की हिस्सेदारी होने की वजह से परेशानियां होती हैं।
शिवहर में उनका स्थायी कार्यालय नहीं है, पर लोगों की समस्याओं के लिए वे
हमेशा उपलब्ध रहती हैं। उनके ऐच्छिक कोष से एक करोड़ की राशि जारी की जा
चुकी है। योजनाएं प्राक्कलन व प्रशासनिक स्वीकृति के दौर से गुजर रही हैं।
नवादा के सांसद डा. भोला सिंह की बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने यहां
‘क्षेत्रीय व बाहरी’ होने को लेकर अर्से से चल रही बहस ठंडी करा दी है।
सांसद कोटे से उन्होंने 1.12 करोड़ रुपये की योजनाओं की अनुशंसा की है।
लेकिन 21 मई तक मात्र 3.78 लाख रुपये खर्च हो सके हैं।