बुंदेलखंड में सहकारिता के जरिए श्वेत क्रांति लाने की तैयारी

सागर। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड को सूखे व
पिछड़ेपन के दंश से मुक्ति दिलाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में
स्वीकृत किए गए विशेष

आर्थिक पैकेज के तहत प्रदेश सरकार बुंदेलखंड में गुजरात की तर्ज पर सहकारिता के जरिए दूध का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी कर रही है।

पशुपालन, मत्स्य पालन एवं उद्यानिकी विभाग की संभाग स्तरीय बैठक में
राज्य के अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त मलय राय के मुताबिक सागर
में 1999 में बंद हो चुकी डेयरी को बुंदेलखंड पैकेज के तहत सहकारिता के
माध्यम से दोबारा शुरू किया जाएगा। साथ ही छतरपुर जिले के खजुराहो में 38
करोड़ की लागत से बकरी के दूध से पनीर बनाने का संयंत्र भी स्थापित किया जा
रहा है, जो एशिया में अपनी तरह का पहला संयंत्र होगा।

राय के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में कृषि को
लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं, जो कृषि संबंधी व्यवसायों के सुनियोजित
विकास के बिना संभव नहीं है। सहकारिता की भूमिका इसमें सबसे अहम है।

राय ने बताया कि इसी योजना के तहत बुंदेलखंड अंचल के सभी जिलों में
260 सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है। छतरपुर जिले में सबसे ज्यादा
60 सहकारिता समितियों का गठन किया जाएगा जबकि बाकी जिलों में सागर में 41,
टीकमगढ़ में 46, दमोह में 56, पन्ना में 30 व दतिया जिले में 27 सहकारिता
समितियां गठित की जा रही हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक बुंदेलखंड के
सभी छह जिलों में दूध संग्रहण के लिए 19 रास्ते निर्धारित किए गए हैं।
इनमें से सागर के 03, छतरपुर के 04, टीकमगढ़ के 03, दमोह के 04, पन्ना के
03 व दतिया के 02 मार्ग शामिल हैं। लेकिन दूध संग्रहण की सहूलियत के आधार
पूर्व निर्धारित मार्गो में संशोधन कर नए रास्तों को भी चिन्हित किया जा
सकता है।

इसके अलावा दूध का परिवहन दिन में एक से ज्यादा बार करने की मजबूरी से
बचने के लिए दुग्ध संकलन मार्गो पर उचित स्थानों पर समितियों के लिए दूध
संग्रह शीत इकाइयों की भी स्थापना की जाएगी।

अधिकृत जानकारी के मुताबिक बकरी के दूध का उत्पादन बढ़ाने व उससे
निर्मित उत्पादों को निर्यात करने के मकसद से मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं
कुक्कुट विकास निगम एवं उत्तरप्रदेश की गोटफ्रेश फर्म के सहयोग से छतरपुर
जिले के खजुराहो में 38 करोड़ की लागत से एक संयंत्र स्थापित किया जा रहा
है।

इस संयंत्र की स्थापना के साथ-साथ इसके आसपास बकरी के बड़े प्रक्षेत्र
स्थापित करने व बकरी पालकों को सक्षम बनाने की दिशा में भी संबंधित विभाग
मदद करेंगे। इसके तहत हर बकरी पालक को 50 से लेकर 500 बकरियों तक की इकाई
स्थापित करने में मदद दी जाएगी।

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