केंद्र मनरेगा के तहत काम करने वालों की किसी दुर्धटना की स्थिति में
मृत्यु हो जाने अथवा स्थायी अपंगता पर मुवाअजा राशि बढ़ाकर एक लाख रुपए
करने की सिफारिश पर गंभीरता से विचार कर रहा है। मनरेगा के तहत मौजूदा
मुवाअजा राशि 25 हजार रुपए है। मनरेगा पर अमल की समीक्षा करने वाली संसदीय
लोक लेखा समिति ने अपनी आठवीं रिपोर्ट में सरकार से कहा है क्षतिपूर्ति की
राशि बढ़ाई जाए।
समिति ने इसके लिए मनरेगा कानून में संशोधन करने को कहा है। केंद्रीय
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय की केंद्रीय
रोजगार गारंटी काउंसिल की 11वीं बैठक में भी मुआवजा राशि 1 लाख रुपए किए
जाने के प्रस्ताव पर विचार किया है। मुवाअजे की यह राशि काम के दौरान किसी
हादसे में मजदूर की मृत्यु हो जाने पर उसके संबंधियों को दी जाती है।
बैठक में विचार किया गया कि अगर मजदूर दुर्घटना में स्थाई रूप से अपंगता
का शिकार हो जाए तो भी उसे मुआवजे में 1 लाख रुपए दिए जाएं। भाजपा के
वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे की अध्यक्षता वाली इस कमेटी ने सीएजी द्वारा
नरेगा की जांच के बाद की गई सिफारिशों के बाद मंत्रालय के जवाब पर विचार
किया और अपनी रिपोर्ट दी थी। समिति के एक सदस्य ने बताया कि इस महंगाई के
युग में अगर किसी परिवार का कमाई करने वाला सदस्य मर जाए अथवा दुर्घटना के
कारण स्थाई अपंगता का शिकार हो जाए तो परिवार का भरण-पोषण काफी कठिन हो
जाएगा।
वर्तमान में 25,000 रुपए की दी जाने वाली क्षतिपूर्ति संकटग्रस्त परिवार
की बहुत थोड़े दिन ही मदद कर पाएगा। उन्होंने कहा कि मनरेगा का तो मुख्य
ध्येय ही गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की मदद करना है।
सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने रोजगार गारंटी काउंसिल की सिफारिशों के
अनुरूप केंद्रीय सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय से नरेगा के
लिए अलग से एक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का निर्माण करने को कहा है।
सूत्रों ने बताया कि इस सीपीआई के बनने के बाद हर राज्य को नरेगा की
मजदूरों को दी जाने वाली न्यूनतम दिहाड़ी तय करने में सुविधा मिलेगी।
वर्तमान में राज्यों द्वारा अपने यहां मनरेगा मजदूरों को दी जाने वाली
दिहाड़ी अलग-अलग मानदंडों पर तय की जा रही है जिसके कारण एक ही तरह के काम
पर विभिन्न राज्यों में भिन्न मजदूरी दी जा रही है।