चित्तौडग़ढ़,
२३ मई (प्रासं)। महानरेगा श्रमिकों को मेहनताने में देरी व अनियमितताओं की
समस्या से जल्द राहत मिलेगी। श्रमिकों के पारिश्रमिक का भुगतान अब डाकघर
से सीधा कार्यस्थल पर लाया जाकर मौके पर हाथों हाथ बांट दिया जाएगा।
महानरेगा
श्रमिकों को मेहनताने के लिए अब तक कई कई दिन इंतजार करना पड़ता था। सकरार
की ओर से भुगतान की व्यवस्था डाकघर एवं बैंक के माध्यम से की हुई है। इसके
लिए श्रमिकों के खाते भी बैंक एवं डाकघर में खुलवाए जाने के बावजूद भी
भुगतान में विलम्ब की समस्या चली आरही है। श्रमिकों को बैंक एवं डाकघर में
कतार लगा कर खड़ा रहना पड़ता है।
इसी तरह अनियमितताओं के चलते तय
मजदूरी से कम भुगतान की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही है। इसके समाधान के
रूप में सरकार द्वारा अब कार्य स्थल पर ही श्रमिकों को भुगतान किए जाने के
बारे में विचार किया जा रहा है। नई व्यवस्था के तहत बैंक व डाकघर से
भुगतान की राशि सीधे महानरेगा कार्यस्थल पर लाई जाएगी और श्रमिकों को
वितरित कर दी जाएगी।
सरकार द्वारा जिस योजना पर विचार किया जा रहा है,
उसके अनुसार, जिला परिषद भुगतान कराने के लिए एक एजेंसी को इसका ठेका
देगी। एजेंसी सबसे पहले सभी श्रमिकों की फोटो, हस्ताक्षर एवं अंगूठे का
निशान संग्रहित कर उनका डाटा कम्प्यूटर में जमा करेगी। एजेंसी कर्मचारी
भुगतान से पहले मौके पर ही श्रमिक के अंगूठे का निशान लेकर उसका डाटा से
मिलान करेगा। पहचान की पुष्ठि के बाद कार्य के अनुसार तय भुगतान किया
जाएगा।
डाकघर से महानरेगा कार्य स्थल तक भुगतान की रकम की सुरक्षा
हथियारबंद पुलिस के जवान करेंगे। इसके लिए जवानों को हथियार चलाने का
प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। योजना के अनुसार, संबंधित डाकघर अथवा बैंक को
हथियार बंद सुरक्षा प्रहरी की मांग करनी होगी।
सुरक्षा प्रहरियों की
टीम में एक अधिकारी सहित पांच जवान शामिल होंगे। टीम पोस्ट ऑफिस अथवा
बैंक से महानरेगा स्थल तक ले जाए जाने वाले भुगतान के साथ जाएगी और यह
भुगतान के समय तक कार्य स्थल पर रहेगी। कार्यस्थल के निकटतम पुलिस थाने
में टीम के सदस्यों की आम व हथियारों की संख्या का इंद्राज करना होगा। यदि
टीम को रूकना पड़ता है तो वह उसी थाने में रूकेगी, हालांकि नरेगा के
श्रमिकों को पूर्व में भी नगद भुगतान दिए जाने का मामला उठ चुका है, लेकिन
उसका यह कह कर विरोध किया जाता रहा है कि इससे भ्रष्टाचार को और अधिक
बढ़ावा मिल सकता है लेकिन सरकार ने इस बारे में पुन: गंभीरता पूर्वक विचार
विमर्श करना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, सरकार इस बारे में
कोई भी अंतिम निर्णय के पूर्व भली भांति इस बात का अध्ययन करना चाहती है
कि नगद भुगतान संबंधित श्रमिक को ही प्राप्त हो सके। इस बारे में जिला
परिषद की सीईओ बी.एस. गर्ग से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अब तक इस
बारे में कोई दिशा निर्देश सरकार की ओर से प्राप्त नहीं हुए है। नगद
भुगतान का अब तक कोई प्रावधान नहीं है।
इधर, इस बारे में कई सरपंचो एवं
अन्य जन प्रतिनिधियों से सम्पर्ककिए जाने पर उन्होंने बताया कि नरेगा के
श्रमिकों को भुगतान के लिए अब तक जो व्यवस्था बनी हुई है, वह अपेक्षाकृत
पेचीदा पूर्ण है। यदि सरकार श्रमिकों को कार्यस्थल पर ही भुगतान देने की
किसी योजना को अंतिम रूप देती है तो श्रमिकों को काफी राहत मिल सकेगी,
हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है।
२३ मई (प्रासं)। महानरेगा श्रमिकों को मेहनताने में देरी व अनियमितताओं की
समस्या से जल्द राहत मिलेगी। श्रमिकों के पारिश्रमिक का भुगतान अब डाकघर
से सीधा कार्यस्थल पर लाया जाकर मौके पर हाथों हाथ बांट दिया जाएगा।
महानरेगा
श्रमिकों को मेहनताने के लिए अब तक कई कई दिन इंतजार करना पड़ता था। सकरार
की ओर से भुगतान की व्यवस्था डाकघर एवं बैंक के माध्यम से की हुई है। इसके
लिए श्रमिकों के खाते भी बैंक एवं डाकघर में खुलवाए जाने के बावजूद भी
भुगतान में विलम्ब की समस्या चली आरही है। श्रमिकों को बैंक एवं डाकघर में
कतार लगा कर खड़ा रहना पड़ता है।
इसी तरह अनियमितताओं के चलते तय
मजदूरी से कम भुगतान की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही है। इसके समाधान के
रूप में सरकार द्वारा अब कार्य स्थल पर ही श्रमिकों को भुगतान किए जाने के
बारे में विचार किया जा रहा है। नई व्यवस्था के तहत बैंक व डाकघर से
भुगतान की राशि सीधे महानरेगा कार्यस्थल पर लाई जाएगी और श्रमिकों को
वितरित कर दी जाएगी।
सरकार द्वारा जिस योजना पर विचार किया जा रहा है,
उसके अनुसार, जिला परिषद भुगतान कराने के लिए एक एजेंसी को इसका ठेका
देगी। एजेंसी सबसे पहले सभी श्रमिकों की फोटो, हस्ताक्षर एवं अंगूठे का
निशान संग्रहित कर उनका डाटा कम्प्यूटर में जमा करेगी। एजेंसी कर्मचारी
भुगतान से पहले मौके पर ही श्रमिक के अंगूठे का निशान लेकर उसका डाटा से
मिलान करेगा। पहचान की पुष्ठि के बाद कार्य के अनुसार तय भुगतान किया
जाएगा।
डाकघर से महानरेगा कार्य स्थल तक भुगतान की रकम की सुरक्षा
हथियारबंद पुलिस के जवान करेंगे। इसके लिए जवानों को हथियार चलाने का
प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। योजना के अनुसार, संबंधित डाकघर अथवा बैंक को
हथियार बंद सुरक्षा प्रहरी की मांग करनी होगी।
सुरक्षा प्रहरियों की
टीम में एक अधिकारी सहित पांच जवान शामिल होंगे। टीम पोस्ट ऑफिस अथवा
बैंक से महानरेगा स्थल तक ले जाए जाने वाले भुगतान के साथ जाएगी और यह
भुगतान के समय तक कार्य स्थल पर रहेगी। कार्यस्थल के निकटतम पुलिस थाने
में टीम के सदस्यों की आम व हथियारों की संख्या का इंद्राज करना होगा। यदि
टीम को रूकना पड़ता है तो वह उसी थाने में रूकेगी, हालांकि नरेगा के
श्रमिकों को पूर्व में भी नगद भुगतान दिए जाने का मामला उठ चुका है, लेकिन
उसका यह कह कर विरोध किया जाता रहा है कि इससे भ्रष्टाचार को और अधिक
बढ़ावा मिल सकता है लेकिन सरकार ने इस बारे में पुन: गंभीरता पूर्वक विचार
विमर्श करना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, सरकार इस बारे में
कोई भी अंतिम निर्णय के पूर्व भली भांति इस बात का अध्ययन करना चाहती है
कि नगद भुगतान संबंधित श्रमिक को ही प्राप्त हो सके। इस बारे में जिला
परिषद की सीईओ बी.एस. गर्ग से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अब तक इस
बारे में कोई दिशा निर्देश सरकार की ओर से प्राप्त नहीं हुए है। नगद
भुगतान का अब तक कोई प्रावधान नहीं है।
इधर, इस बारे में कई सरपंचो एवं
अन्य जन प्रतिनिधियों से सम्पर्ककिए जाने पर उन्होंने बताया कि नरेगा के
श्रमिकों को भुगतान के लिए अब तक जो व्यवस्था बनी हुई है, वह अपेक्षाकृत
पेचीदा पूर्ण है। यदि सरकार श्रमिकों को कार्यस्थल पर ही भुगतान देने की
किसी योजना को अंतिम रूप देती है तो श्रमिकों को काफी राहत मिल सकेगी,
हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है।