1177 गांव, एक दिन में सर्वे

सीकर. जिले के 1177 गांवों में चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे का काम एक
दिन में ही कर दिया गया और दूसरे दिन सुबह-सुबह ही सर्वे रिपोर्ट भी
शिक्षकों से ले ली गई। सर्वे ड्राप आउट और अनामांकित बच्चों की संख्या
जानने के लिए किया गया था।

भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि 19 मई को नोडल पर सर्वे करने वाले
शिक्षकों की बैठक बुलाई गई और 20 मई को उन्हें हर हाल में सर्वे का काम
निपटाने के निर्देश जारी कर दिए गए। इसी दिन जांच अधिकारी से सर्वे की
जांच भी करा ली गई। पूरे मामले में यह भी खास बात है कि जांच अधिकारी ने
भी घर-घर जाकर सर्वे रिपोर्ट की सच्चाई पता लगा ली और वो भी उसी दिन।
पिलियो का ढहर गुंगारा गांव का उदाहरण सर्वे की पोल खोलने के लिए काफी है।

पूरे गांव में 200 घर हैं। क्या इन 200 घरों में घर-घर जाकर सर्वे एक दिन
में मुमकिन है? गांव के जांच अधिकारी भागीरथसिंह का कहना है कि एक दिन में
सर्वे सही तरीके से होना मुश्किल है। क्योंकि कई घरों में तो परिवार के
लोग पढ़े-लिखे नहींहोने के कारण यह तक नहीं बता सकते हैं कि उनका बच्चा
कौनसी स्कूल और कक्षा में पढ़ रहा है।

सर्वे के लिए कम से कम एक महीने का समय चाहिए। एक गांव के जांच अधिकारी
रामोवतार से जब भास्कर ने सर्वे के बारे में पूछा तो बोले कि 100 परिवारों
का सर्वे एक दिन में संभव ही नहीं है। रिपोर्ट भी हमने सुबह दस बजे अगले
दिन सौंप दी।

सर्वे पर उठते सवाल

भास्कर ने एक दिन में सर्वे के बारे में सर्वशिक्षा अभियान के एडीपीसी
अशोक पारीक से पूछा तो बोले कि सर्वे घर-घर जाकर करना ही नहीं था, वो तो
स्कूल में बैठकर रिकार्ड के आधार पर करना था। जबकि सर्वे परिपत्र में
छात्र का एसआर नंबर व अभिभावकों के हस्ताक्षर भी मांगे गए हैं।

राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के जिलाध्यक्ष व सर्वे का काम देख रहे
रामचंद्र गढ़वाल का कहना है कि शिक्षकों को जो परिपत्र दिए गए हैं, उनमें
परिजनों के हस्ताक्षर व छात्र के एसआर नंबर के बारे में भी जानकारी मांगी
गई। यह सब जानकारी स्कूल में बैठकर कैसे हासिल हो सकती है? तारपुरा में
सर्वे प्रभारी फूलसिंह ने बताया कि हमने घर-घर जाकर सर्वे पूरा कर लिया
है। सर्वे में चार ड्राप आउट बच्चे मिले हैं।

जिले में एक भी ड्राप आउट नहीं

पिछले साल के सर्वे के मुताबिक, जिले में एक भी बच्चा ड्राप आउट नहीं है।
विभाग का कहना है कि प्रवेशोत्सव के दौरान सभी बच्चों का नामांकन हो जाता
है, यह अलग बात है कि इनमें से कुछ बच्चे बाद में स्कूल नहीं जाते हैं।
जबकि स्वयंसेवी संगठनों के मुताबिक, जिले में 10 हजार से अधिक बच्चे ड्राप
आउट हैं। राज्यभर में सर्वे में इसी तरह का फासला देखने को मिला था। जिसे
सर्वशिक्षा अभियान की आयुक्त वीनू गुप्ता ने भी गंभीर माना है।

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