नई
दिल्ली। धनाभाव के कारण उच्च शिक्षा से वंचित मेधावी छात्रों की समस्याओं
को दूर करने के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम’ की स्थापना के प्रस्ताव
को योजना आयोग का सहयोग हासिल हो गया है और अब इस विषय पर वित्त मंत्रालय
के साथ चर्चा की जानी है।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार छात्रों को
शिक्षा प्राप्त करने के लिए सस्ती ऋण सुविधा प्रदान करने के संबंध में
‘राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम’ गठित करने का प्रयास कर रही है जिसके
माध्यम से बैंकों को उनके ऋण की गारंटी मिल सकेगी और छात्रों को शिक्षा के
लिए सस्ता सुलभ ऋण उपलब्ध होगा।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि सड़क और अन्य आधारभूत संरचना से
जुड़े विषय ‘प्राथमिकता’ के क्षेत्र में रखे गए हैं लेकिन शिक्षा को यह
दर्जा प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को प्राथमिकता के क्षेत्र
का दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि जो छात्र सस्ता ऋण प्राप्त करना चाहते हैं
उन्हें यह सुलभ हो सके और जो लोग शैक्षणिक संस्थान स्थापित करना चाहते हैं
उन्हें धन प्राप्त हो सके जिसे दीर्घावधि में लौटाने की सुविधा हो।
बहरहाल, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम
के गठन के प्रस्ताव को योजना आयोग का सहयोग हासिल हो गया है और अब इस विषय
पर वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा की जाएगी।
सिब्बल ने स्वीकार किया कि राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम के गठन का
प्रस्ताव चर्चा के दौर में हैं और इस विषय पर योजना आयोग से चर्चा हुई है।
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 20 हजार करोड़ कार्प्स फंड
वाले राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम के गठन का प्रस्ताव किया है जो शिक्षा
के क्षेत्र में धन के सुलभ प्रवाह की निगरानी करेगा और जिसके माध्यम से
धनाभाव के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई महसूस करने वाले
विद्यार्थियों को समुचित ऋण सुविधा मुहैया हो सकेगी।
सिब्बल ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर निगम को सरकार से समर्थन प्राप्त
हुआ है और उनका मंत्रालय प्रस्तावित निकाय के लिए व्यापक मानक तैयार कर
रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस विषय पर स्टेट बैंक आफ इंडिया, यूनियन
बैंक समेत पांच बैंकों के साथ चर्चा हुई है।
अधिकारी ने बताया कि अगर अभी कोई भी व्यक्ति शैक्षणिक संस्थान स्थापित
करना चाहता है तो बैंक उसे व्यवसायिक दर पर ऋण उपलब्ध कराते हैं और
अभावग्रस्त बच्चों के माता पिता अपनी जमीन जायदाद बेचकर उनकी पढ़ाई पूरी
करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम के माध्यम से
मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार की जरूरतों को पूरा करने में भी मदद
मिलेगी।