दिल्ली।
मानसून और मौसम विशेषज्ञों की पकड़ में ठीक ढंग से नहीं आ पाता। यह बात
पहले भी कई बार साबित हो चुकी है और इस बार भी हो रही है। फिलहाल,
विशेषज्ञों की ताजा राय है कि इस साल देश में मानसून के सीजन में घनघोर
बारिश हो सकती है। उधर, आंध्र प्रदेश में ‘लैला’ के प्रकोप से अब तक 17
लोगों के मारे जाने की खबर है।
एक हफ्ते पहले विशेषज्ञों का आकलन था कि देश में मानूसन सामान्य [करीब
98 फीसदी] रहेगा। फिर दक्षिण भारत में ‘लैला’ नामक चक्रवाती तूफान के चलते
मानसून के कमजोर पड़ने की आशंका जताई जाने लगी। फिलहाल अब जबकि ‘लैला’
कमजोर पड़ गया है, विशेषज्ञों ने देश में घनघोर बारिश की चेतावनी दे दी है।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, पिछले साल तक देश के मानसून पर बुरा असर
डालने वाले ‘अल नीनो’ का असर खत्म हो चुका है। इसकी जगह ‘ला नीना’ ले ली
है। अल नीनो के असर से पिछले साल सूखे की स्थिति थी। इसके विपरीत ला नीना
के प्रभाव से इस बार खूब बारिश होने के आसार बन रहे हैं।
विशेषज्ञों का ताजा आकलन भी हालांकि, ज्यादा उत्साहवर्द्धक नहीं कहा
जा सकता है क्योंकि ला नीना के प्रभाव से अतिवृष्टि की स्थितियां बन सकती
हैं और फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। बता दें कि पिछले साल अल नीनो के
कारण बनी परिस्थितियों से भयंकर सूखे की स्थिति बनी थी, जिसने महंगाई
बढ़ाने में अहम योगदान दिया था। मौसम विज्ञानी एलएस राठौर का कहना है कि
ला नीना से इस साल कई जगहों पर बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है। पूना के
राष्ट्रीय मौसम केंद्र के निदेशक डी. शिवानंद पाई का कहना है कि ला नीना
के बारे में औपचारिक घोषणा पूरी स्थितियों का अध्ययन करने के बाद जून में
की जाएगी। उम्मीद है कि जून-सितंबर के बीच मानसून के उत्तरार्द्ध में ला
नीना अपने सही रूप में सामने आएगा।
दूसरी तरफ, आंध्र प्रदेश में ‘लैला’ तूफान से अब तक 17 लोगों की जानें
जा चुकी हैं। राज्य आपदा प्रबंधन आयुक्त टी. राधा के मुताबिक, कृष्णा जिले
में सात, नेल्लोर में चार, गुंटूर में तीन, पूर्व गोदावरी में दो और
प्रकाशम जिले में एक व्यक्ति की मौत हुई है। जबकि कृष्णा जिले से दो और
पूर्व गोदावरी से एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना है। मौसम विभाग के
अनुसार हालांकि तूफान अब कमजोर पड़ रहा है, इसके बावजूद अगले 12 घंटे में
प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है।
अल-नीनो
मौसम की एक ऐसी परिस्थिति है जो प्रशात महासागर के पूर्वी भाग यानी
दक्षिणी अमेरिका के तटीय भागों में महासागर के सतह पर पानी का तापमान
बढ़ने की वजह से पैदा होती है। इसकी वजह से मौसम का सामान्य चक्र गड़बड़ा
जाता है। माना जाता है कि अल-नीनो लगभग सात साल में एक बार लौटता है।
ला नीना
अल नीनो के उलट ला नीना ऐसी मौसमी परिस्थिति है जो प्रशांत महासागर के
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पूर्वी भाग में समुद्र के सतह पर पानी के तापमान कम होने की वजह से बनती
है। इसकी वजह से अतिवृष्टि की स्थिति बन सकती है।