मध्यप्रदेश में सिंचाई के लिए चल रही कपिलधारा योजना को अपनी खास योजना बताकर प्रचार कर रही है। लेकिन अरबों रुपए की ये योजना चल रही है केंद्र की नरेगा के पैसे से। शिवराज सिंह चौहान के एक पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि कपिलधारा योजना के तहत सिंचाई करने के लिए शासन की ओर से मध्यप्रदेश की जनता को अनुदान दिया गया है। इससे जो कुएं बनेंगे उससे खेतों की सिंचाई होगी और लोग अधिक से अधिक लाभ कमा सकेंगे।
शिवराज सरकार ने कपिलधारा योजना को अपनी सबसे महात्वाकांक्षी योजना के तौर पर प्रचारित कर रखा है। इस योजना के तहत लगभग 54 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की तैयारी की जा रही है। ये साफ तौर पर अमानत में खयानत का मामला है। लेकिन केंद्र सरकार की उंगली उठने से मध्यप्रदेश सरकार के नुमाइंदे भड़के हुए हैं।
ऐसा लगता है कि शिवराज सरकार ने एक झटके में नरेगा के नाम पर वाहवाही लूटने की स्कीम तैयार कर ली है। विकास के नाम पर वाहवाही के इस खेल में जीत किसी की भी हो मगर असर उस आम जनता पर पड़ना तय है जिसकी बेहतरी के लिए सरकारें दिन रात ही दावे किया करती हैं।
यूपी में भी नरेगा के पैसों का गलत इस्तेमाल नरेगा के नाम पर यूपी में भी अपना एजेंडा चलाया जा रहा है। यूपी सरकार ने नरेगा के पैसों से हर जिले में राजकीय पौधशाला बनाने का फैसला किया है। इसके लिए हर जिले को एक करोड़ का बजट भी दे दिया गया है। जबकि नरेगा के तहत ऐसा कोई निर्माण मुमकिन ही नहीं है। यूपी के हर जिले में लागू की जा रही इस योजना पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सख्त ऐतराज जताया है।
यूपी के हर जिले में एक राजकीय पौधशाला बनाने की योजना है। माया सरकार पौधशाला बनाने की इच्छुक है, यहां तक तो बात समझ में आती है। मगर एक एक करोड़ रूपए की लागत से यूपी के हर जिले में प्रस्तावित इन पौधशालाओं के लिए नरेगा का पैसा इस्तेमाल किया जाना है।
नरेगा के तहत काम के बारे में साफ दिशा निर्देश हैं कि जल संरक्षण, सूखे से बचाव के लिए वृक्षारोपड़, नहरें, भूमि विकास, सड़कें आदि बन सकती हैं। मगर यूपी सरकार के लिए न दिशानिर्देशों का कोई मतलब है, न ही उसने किसी से इजाजत लेने की जरूरत समझी है।
बहरहाल, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। यूपी हो या फिर एमपी, विकास के नाम पर राजनीति क फायदा उठाने का सिलसिला हर जगह जारी है।