पानीपत। हरियाणा के किसानों का विश्वास
जीतने के लिए अमेरिका व चीन की बीटी काटन बीज कंपनियों के बीच जंग शुरू हो
गई है। अमेरिकी बीज कंपनियां पिछले पांच साल से कपास उत्पादक किसानों के
बीच हैं, जबकि चीनी कंपनी ने राज्य में पिछले साल अपना आधार बबनाते हुए इस
साल पहली बार जोरदार ढंग से दस्तक दी है।
कृषि विभाग ने सात से 25 मई के बीच बीटी काटन की बिजाई करने की
सिफारिश की है। राज्य में अभी तक 6.45 लाख हेक्टेयर रकबे के लक्ष्य के
मुकाबले सिर्फ 60 फीसदी क्षेत्र में ही बिजाई हो सकी है। मानसून में देरी
और पानी की कमी को इसका कारण माना जा रहा है।
हरियाणा में पिछले साल 6.25 लाख हेक्टेयर जमीन में बीटी काटन की बिजाई
की गई थी। एक हेक्टेयर में छह क्विंटल 46 किलो बीटी काटन का उत्पादन होता
है। पिछले साल परंपरागत कपास का उत्पादन 1500 क्विंटल हुआ था। इसे इस साल
घटाकर 700 क्विंटल करने और बीटी काटन की बिजाई का रकबा बढ़ाकर 6.45 लाख
हेक्टेयर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए
अमेरिकी और चीनी बीज बेचने वाली कंपनियों ने बीटी काटन कपास के 23 लाख
पैकेट मार्केट में उतारे हैं। इन बीजों में चीनी कंपनी का हिस्सा अभी कम
है। एक पैकेट में 450 ग्राम बीज होता है और एक हेक्टेयर में डेढ़ पैकेट
बीज डालने की सिफारिश की गई है।
हरियाणा में हालांकि बीटी काटन बीज बेचने की इजाजत 25 कंपनियों को दी
गई है, लेकिन कपास के बीज के पूरे बाजार पर अमेरिका व चीनी बीटी काटन
बेचने वाली चार कंपनियों का 70 फीसदी कब्जा है। राज्य में अभी बारिश हो
नहीं रही है और ट्यूबवेल से सिंचाई करने के लिए बिजली की कमी है।
परिणामस्वरूप 40 फीसदी क्षेत्र में अभी बिजाई नहीं हो पाई है।
इसके बावजूद कृषि विभाग को लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद है। दलील दी जा
रही है कि कपास की बिजाई के 15 दिन बाद तक पानी की जरूरत नहीं होती।
किसानों को समझाया जा रहा है कि जब तक अगली बारिश की जरूरत होगी, तब तक
हरियाणा में मानसून दस्तक दे देगा। कृषि विभाग के निदेशक एके यादव का कहना
है कि कपास उत्पादन में हरियाणा आत्मनिर्भर बन रहा है और किसानों की मेहनत
के बूते पूरी फसल काटन कारपोरेशन आफ इंडिया दिल्ली को अच्छी कीमतों पर
बेची जा रही है।
हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसानों को चुकाने पड़ रहे अधिक दाम
हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में बीटी काटन बीज का दाम 925 रुपये है। दक्षिणी राज्यों में इसकी बिक्री 725 रुपये में हो रही है।
किसानों की सुविधा के लिए सिरसा में संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी
आरपी पुनिया की तैनाती की गई है। पंचकूला मुख्यालय में एडीओ ईशम सिंह कपास
की बाबत किसानों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
बीटी काटन कपास पर 10 की बजाय दवाइयों के दो बार स्प्रे से काम चल
जाता है। नरमा कपाससे 30 प्रतिशत उत्पादन अधिक होता है। बीटी काटन में
कीड़ा नहीं लगता।
हरियाणा में 1966 में प्रति हेक्टेयर कपास उत्पादन 283 किलो थी, जो अब 646 किलो हो गई है।