बिजली 10.66 प्रतिशत महंगी

भोपाल। महंगाई की मार झेल रहे आम जनता की
मुश्किलें उस समय और बढ़ गईं जब प्रदेश के सभी वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए
बिजली की दर आगामी एक जून से 10.66 प्रतिशत बढ़ा दी गई हैं।

मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सदस्य के.के.गर्ग ने आज यहां
संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए बताया कि तीनों विद्युत वितरण
कंपनियों ने विद्युत उत्पादन की दरों में वृद्धि को देखते हुए नियामक आयोग
के समक्ष विद्युत दरों में 24 प्रतिशत तक वृद्धि किए जाने की मांग की थी
लेकिन आयोग ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद 10.66 प्रतिशत की वृद्धि
स्वीकृत की है।

उन्होंने बताया कि विद्युत कंपनियों द्वारा 15175 करोड़ रुपए की कुल
राजस्व आवश्यकता प्रस्तावित की गई थी जिसके विरुद्ध आयोग द्वारा 10478
करोड की कुल राजस्व आवश्यकता को ही ग्राह्य किया गया है। नियामक आयोग
द्वारा यह अभी तक स्वीकृत की गई सर्वाधिक दरें हैं।

उन्होंने कहा कि विभिन्न उपभोक्ता श्रेणियों के लिए विद्युत दरों का
निर्धारण किया गया है ताकि वितरण कंपनियों को आयोग द्वारा ग्राह्य कुल
राजस्व के आवश्यकता के अनुरूप राजस्व की प्राप्ति हो सके।

दूसरी तरफ सूत्रों के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2010.11 में 88 लाख
घरेलू उपभोक्ता तथा 13 लाख कृषि क्षेत्र के उपभोक्ता होने का अनुमान है।
गर्ग ने बताया कि निम्न दाब वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 30 यूनिट तक
बिजली की दरों में 20 पैसे, 50 यूनिट तक 25 पैसे, 51 से एक सौ यूनिट तक 30
पैसे, 101 से 200 यूनिट तक 45 पैसे और 200 से अधिक यूनिट पर 50 पैसे प्रति
यूनिट की वृद्धि की गई है।

उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में 30 यूनिट तक 3.25 रुपए, 50
यूनिट तक 22.09 रुपए, 51 से एक सौ यूनिट तक 41.02 रुपए, एक सौ से दो सौ
यूनिट तक 92 रुपए और 200 से अधिक यूनिट पर 320 रुपए तक की वृद्धि होगी।

गर्ग ने बताया कि निम्न दाब औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए संयोजित भार
की वर्तमान अधिकतम सीमा को 100 हा.पा. से बढाकर 150 हा.पा. करने के साथ ही
उच्च दाब उपभोक्ताओं के लिए प्रवेश स्तर की संविदा मांग की न्यूनतम सीमा
को 60 के.वी.ए से घटाकर 50 के.वी.ए किया गया है।

उन्होंने बताया कि 100 के.वी.ए तक की संविदा मांग वाले उच्च दाब
उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम खपत की सीमा को कम किया गया है इससे उपभोक्ताओं
को निम्न दाब से उच्च दाब में जाने में आसानी होगी।

प्रदेश में गरीबों और किसानों को निशुल्क बिजली दिए जाने के संबंध में
पूछे गए प्रश्न के उत्तर में गर्ग ने कहा कि सरकार चाहे तो इस सबंध में
निर्णय ले सकती है जबकि आयोग अपनी ओर से इसकी अनुमति नहीं देता है।

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