गैर सरकारी संस्थाओं का आडिट कैग से हो : अंसारी

जागरण ब्यूरो, शिमला। उप राष्ट्रपति मोहम्मद
हामिद अंसारी ने कहा कि गैर सरकारी संस्थाओं, स्वायत्त संगठनों,
सोसायटियों व ट्रस्ट के कार्यो का ऑडिट भी सरकारी विभागों की तर्ज पर कैग
से करवाया जाना चाहिए। उन्होंने सब्सिडी पर खर्च होने वाले सरकारी धन को
भी कम करने की वकालत की है।

वह मंगलवार को यहां राष्ट्रीय लेखा व लेखा परीक्षा अकादमी के हीरक
जयंती समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गैर सरकारी
संस्थाओं के संबंध में 1971 के कानून में यह प्रावधान नहीं है कि इनका
आडिट कैग द्वारा किया जाए, लेकिन में समझता हूं कि जो संस्थाएं पब्लिक
अथॉरिटी के दायरे में आती हैं और जिनके बारे में सूचना के अधिकार कानून के
तहत जानकारी हासिल की जा सकती है, उनका भी ऑडिट कैग द्वारा किया जाए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सब्सिडी के तौर पर खर्च किए जाने वाले धन का
अच्छा खासा प्रभाव है, क्योंकि सरकार के बजट और नई पीढ़ी के भविष्य पर
पड़ता है, इसलिए सब्सिडी के प्रावधान को भी पब्लिक ऑडिट के दायरे में लाया
जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सब्सिडी पर किए जाने वाले खर्चो को धीरे-धीरे
इस ढंग से कम किया जाना चाहिए ताकि उनका असर इससे लाभांवित होने वाले
लोगों पर सीधा न पड़े। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में दी जा रही सब्सिडी
के प्रभाव का मूल्यांकन किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र
सरकार के खर्चो में पिछले एक दशक के दौरान लगभग दस गुणा वृद्धि हुई है।
वर्ष 1989 में जहां ये खर्च 95 हजार करोड़ रुपये था वहीं वर्ष 2009-10 के
दौरान यह बढ़कर 10 लाख करोड़ हो गया है। यही वजह है कि केंद्र सरकार लोक
लेखा के साथ-साथ सुशासन और सरकार की जवाबदेही को भी ऑडिट के दायरे में
लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय लेखा
परीक्षा अकादमी द्वारा किए जा रहे योगदान की सराहना की।

इससे पूर्व अकादमी के महानिदेशक एसपी पिल्लई ने संस्थान के संबंध में
विस्तृत जानकारी दी। उपराष्ट्रपति अंसारी ने कहा कि अब भी कई ऐसी खामिया
मौजूद हैं जिन्हें अगर दूर किया जाए तो जनता को सुशासन मुहैया कराया जा
सकता है। वर्तमान में कैग के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिससे कि वह
सरकार के राजस्व को नुक्सान पहंुंचाने के लिए जिम्मेवार अधिकारियों को समन
जारी करते हुए उनके खिलाफ कारवाई कर सके। सरकार के राजस्व को नुक्सान
पहुचाने के लिए जिम्मेवार अधिकारियों की जबावदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए
और कैग के अधीन ऐसे संवैधानिक बाडी का गठन किया जाना चाहिए जिसके पास ऐसे
अधिकार निहित हों।

हामिद अंसारी ने कहा कि कोई भी संस्था जो सूचना के अधिकार के दायरे
में आती है उसे कैग के आडिट के अधीन भी लाया जाना चाहिए। पब्लिक आडिट का
उदेश्य तभी पूरा हो सकता है यदि रिकार्ड को निर्धारित समयसीमा के भीतर
बिना किसी अवरोध के मुहैया कराया जाता है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने
कहा कि एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार ससंद को 1994 से लेकर 2008 तक नौ/> हजार से अधिक आडिट पैरा आडिट रिपोर्ट के साथ भेजे गए जिसमें से लगभग तीन
हजार आडिट पैरा पर संबधित मंत्रालयों द्वारा फ‌र्स्ट रिपास नहीं दिया गया।
हालाकि सरकार के साथ किए गए समझौते के अनुसार चार महीने की समय सीमा के
भीतर पब्लिक अकाउटस कमेटी को एक्शन टेकन नोट जमा कराना अनिवार्य है। राच्य
विधानसभाओं में भी ऐसा हाल देखा गया है जोकि जिम्मेवारी का निर्वहन सही
रूप से नहीं कर रहे है। हंसारी ने कहा कि ग्लोबल स्तर पर आर्थिक परिदृश्य
में तेजी से बदलाव हो रहा है तो सरकारी तंत्र में अकाउटिग की प्रकिया में
भी इसी तेजी के साथ बदलाव लाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर राज्यपाल उर्मिला सिंह, मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल,
राष्ट्रीय लेखा व लेखा परीक्षा अकादमी के महानिदेशक एसबी पिल्लै समेत
संस्थान के प्रशिक्षु व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

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