पटना। पछुआ ने लीची को लूट लिया। किसान माथा पीट रहे हैं। बर्बादी का अंदाज इसी से कि आधा से अधिक उत्पादन प्रभावित है।
शुरू में लीची खातिर मौसम अनुकूल था। मगर अप्रैल-मई की झुलसाने वाली
गर्मी और पिछले दिनों चली पछुआ हवा ने मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेगूसराय के
बड़े रकबे में लीची की फसल को बर्बाद कर दिया है। भीषण गर्मी ने दोतरफा मार
की। एक, शुरू में बड़ी मात्रा में फूल झड़ गए और फल कम लगे। दूसरा-जो बचे
थे, उसे पछुआ ने झुलसा दिया। नतीजा-करीब दस से बीस फीसदी लीची के दाने फट
चुके हैं। रंग बदल कर काला हो चुका है। मुजफ्फरपुर जिले में इस वर्ष लगभग
80 हजार टन लीची उत्पादन का लक्ष्य था। मौसम की मार के कारण उत्पादन आधा
होने की आशंका है। कृषि विभाग की मानें तो पिछली बार 60 हजार टन उत्पादन
का लक्ष्य लगभग पूरा हो गया था। अबकी 40 से 50 हजार टन उत्पादन भी मुश्किल
लग रहा है। कांटी, मुशहरी, मोतीपुर, बोचहां में लीची किसान मायूस हैं।
मौसम के कारण समय से 10 से 15 दिन पहले लीची के फलों में लाली आनी शुरू हो
गई थी। असमय आई लाली को देखकर ही किसानों ने अपना माथा पीटना शुरू कर दिया
था। अभी वे इससे संभले भी नहीं थे कि पछुआ ने कहर बरपा दी। पूर्वी चंपारण
में भी कमोबेश यही स्थिति है। जिले में करीब 15-20 हजार हेक्टेयर में लीची
का उत्पादन होता है। मेहसी में शाही और चाइना, दोनों प्रकार की लीची होती
है। यहां सालाना 80-90 हजार टन लीची का उत्पादन होता है। आम तौर पर 15 मई
से गुलजार रहने वाले लीची बाजार में वीरानगी है। लीची उत्पादक तकदीर को
कोस रहे हैं। बदलपुरा के लीची उत्पादकों की मानें तो कड़ाके की ठंड के कारण
जहां लीची में मंजर कम लगा, वहीं भीषण गर्मी के कारण मंजर में लगे अस्सी
से नब्बे प्रतिशत फल गिर चुके हैं। ज्यादातर पेड़ों में सिर्फ पत्ता नजर
आता है। कहर तो पूरे जिले पर है मगर बदलपुरा की दास्तान सबसे दर्दनाक है।
व्यापारी नजर नहीं आ रहे हैं। पहले शाम ढलते ही चौक-चौराहों पर दर्जनों
ट्रकों का जमावड़ा हो जाता था। गांव के कई किसानों को तो लीची उत्पादन से
लाखों रुपये तक की आमदनी होती थी।
कुछ किसान तो पेड़ों को काट रहे हैं। राम राघवेन्द्र देव, ललन प्रसाद
सिंह, संजीव कुमार व नरेश सिंह ने बताया कि बेहतर उत्पादन के लिए खेत में
कम्पोस्ट, मंजर पर छिड़काव आदि भी किया गया, किंतु इसका कोई फायदा उत्पादन
में न दिखा। किसानों ने सरकार से बर्बादी की एवज में मुआवजा मांगा है।