नई
दिल्ली। छत्तीसगढ़ में माओवादियों द्वारा किए गए एक और नरसंहार के बाद
गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि यदि नक्सली सिर्फ 72 घंटे के लिए हिंसा
त्याग देते हैं तो उनसे बातचीत की जा सकती है।
चिदंबरम ने सीएनएन-आईबीएन से कहा कि माओवादियों को कहना चाहिए कि वे
हिंसा त्याग दें। वे खून-खराबा छोड़ दें और 72 घंटे के लिए वास्तविक रूप से
हिंसा रोकें। तब हम मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे। हम जवाब देंगे। हम
बातचीत के लिए एक समय और तारीख तय करेंगे तथा माओवादी जो भी बातचीत करना
चाहते हैं, उन्हें बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। नक्सलियों ने सोमवार को
दंतेवाड़ा के नजदीक बारूदी सुरंग विस्फोट से एक बस को उड़ा दिया था जिसमें
कम से कम 36 लोग मारे गए।
गृहमंत्री ने कहा कि भाकपा [माओवादी] ने बातचीत की पेशकश पर कभी
गंभीरता से जवाब नहीं दिया। वे [माओवादी] मजाक बना रहे हैं। मुझे लगता है
कि मीडिया इस मजाक को बढ़ावा देता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकारी बल संघर्ष विराम के दौरान माओवादियों
के खिलाफ सभी अभियान रोक देंगे, गृहमंत्री ने कहा, ‘निस्संदेह।’ चिदंबरम
ने कहा कि यदि वे माओवादी 72 घंटे के लिए हिंसा पूरी तरह रोक देते हैं, तो
यह बिना कहे हो जाएगा कि पुलिस भाकपा [माओवादी] के कार्यकर्ताओं और उनके
ठिकानों या शिविरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि पूर्ण रूप से हिंसा रोकने का मतलब यह है कि आधारभूत
ढांचे पर कोई हमला नहीं होना चाहिए, कोई बारूदी सुरंग विस्फोट नहीं होना
चाहिए या किसी टेलीफोन टॉवर को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
हिंदू कट्रपंथियों के मुद्दे पर गृहमंत्री ने कहा कि कई समूहों की ओर
इशारा करने वाले सबूत हैं जिन्हें धुर दक्षिणपंथी कट्टरपंथी समूह से
समर्थन मिलता है।