भोपाल। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
(एनसीएससी) के अध्यक्ष बूटा सिंह ने कहा है कि बसपा शासित उत्तर प्रदेश
में दलितों पर अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। इसके बाद
बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है। दलितों के साथ भेदभाव के लिए मध्य
प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए बूटा सिंह ने कहा कि राज्य में दलितों के
लिए आरक्षित रिक्तियां सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से भरी जा रही हैं।
बूटा सिंह ने रविवार को कहा कि आयोग दलितों पर अत्याचार के बारे में
अपनी रिपोर्ट 26 मई को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को सौंपेगा। उन्होंने कहा
कि दलितों पर अत्याचार के मामले में पहले तीन स्थान उत्तर प्रदेश, बिहार
और मध्य प्रदेश के बीच ही बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब,
हरियाणा, गुजरात और तमिलनाडु भी दलितों के उत्पीड़न के मामले में ज्यादा
पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि राज्य
सरकार के तंत्र के निर्देश पर शिकायतकर्ताओं पर पुलिस में दर्ज मामले वापस
लेने का दबाव बनाया जाता है। दलितों को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ती है
क्योंकि शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस उनका उत्पीड़न करती है। बूटा ने
बताया कि एनसीएससी एक साल पहले भी राष्ट्रपति को इस बारे में एक रिपोर्ट
सौंप चुका है।
मध्य प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए बूटा ने कहा, राज्य में वर्ष
2006 से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पदों पर सामान्य श्रेणी के
उम्मीदवार भरे जा रहे हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है। यह
मौलिक अधिकारों का हनन है। हमें इसकी जानकारी दो माह पहले मिली और सचाई का
पता लगाने ही यहां आये हैं।