भोपाल। प्रदेश में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार
द्वारा कृषि विज्ञान मेले और प्रदर्शनी का आयोजन करने के लिए जिला
कलेक्टरों को निर्देशित किया जा रहा है। यह सभी मेले 6 जून से पूर्व
आयोजित किए जाएंगे। इन मेलों में किसानों को एक ही समय में एक ही स्थान पर
उन्नत कृषि तकनीकी एवं कृषि अदानों की उपलब्धता की जानकारी दी जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष के अनुसार इस बार भी खरीफ वर्ष 2010 के लिए
कृषि विज्ञान मेले के आयोजन के लिए प्रत्येक जिले को 5 लाख रुपए का आवंटन
किया है। किसान कल्याण एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव एमएम उपाध्याय
द्वारा आदेश जारी कर सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि 6 जून तक अपने
जिले में कृषि मेलों का आयोजन कर लिया जाए। इन मेलों के आयोजन करने के
पीछे राज्य शासन का उद्देश्य कृषि में महिलाओं की भागीदारी, अनुसूचित
जाति, जनजाति के कृषकों के लिए प्रशिक्षण, बलराम तालाब, बैलगाड़ी पर
अनुदान, सरकारी योजनाओं से किसानों को अवगत कराना, किसानों को नवीनतम
तकनीकी, कम लागत की तकनीक, 100 प्रतिशत बीज उपचार , सोयाबीन की बीज दर कम
करने, बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाने, हरी खाद का उपयोग, जैविक खेती को
बढ़ावा देने, फसल पद्धतियों का चुनाव आदि की जानकारी देना है।
द्वारा कृषि विज्ञान मेले और प्रदर्शनी का आयोजन करने के लिए जिला
कलेक्टरों को निर्देशित किया जा रहा है। यह सभी मेले 6 जून से पूर्व
आयोजित किए जाएंगे। इन मेलों में किसानों को एक ही समय में एक ही स्थान पर
उन्नत कृषि तकनीकी एवं कृषि अदानों की उपलब्धता की जानकारी दी जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष के अनुसार इस बार भी खरीफ वर्ष 2010 के लिए
कृषि विज्ञान मेले के आयोजन के लिए प्रत्येक जिले को 5 लाख रुपए का आवंटन
किया है। किसान कल्याण एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव एमएम उपाध्याय
द्वारा आदेश जारी कर सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि 6 जून तक अपने
जिले में कृषि मेलों का आयोजन कर लिया जाए। इन मेलों के आयोजन करने के
पीछे राज्य शासन का उद्देश्य कृषि में महिलाओं की भागीदारी, अनुसूचित
जाति, जनजाति के कृषकों के लिए प्रशिक्षण, बलराम तालाब, बैलगाड़ी पर
अनुदान, सरकारी योजनाओं से किसानों को अवगत कराना, किसानों को नवीनतम
तकनीकी, कम लागत की तकनीक, 100 प्रतिशत बीज उपचार , सोयाबीन की बीज दर कम
करने, बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाने, हरी खाद का उपयोग, जैविक खेती को
बढ़ावा देने, फसल पद्धतियों का चुनाव आदि की जानकारी देना है।