नई
दिल्ली। ‘खाप पंचायतों’ या स्वयंभू जातीय परिषदों को कड़ी फटकार लगाते हुए
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्हें परंपरा के नाम पर कानून अपने हाथ में
लेने के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि समान गौत्र में विवाह को प्रतिबंधित
करने का मुद्दा व्यापक बहस का विषय है।
आयोग ने कहा कि उसने इन मीडिया रिपोर्टो का संज्ञान लिया है, जिसमें
कथित रूप से हरियाणा में खाप पंचायतें समान गौत्र में विवाह करने वाले
हिंदू दंपतियों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में शामिल हैं। आयोग ने एक बयान
में कहा है कि आयोग का यह विचार है कि किसी को भी परंपरा के नाम पर किसी
के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए कानून को अपने हाथ में लेने का
अधिकार नहीं है।
हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न गांवों में इन परिषदों
द्वारा आपराधिक न्याय व्यवस्था में कथित हस्तक्षेप किए जाने के संबंध में
आठ शिकायतें मिली थीं। आयोग ने कहा है कि हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश
के कुछ हिस्सों में समान गौत्र में शादी करने वाले दंपतियों के खिलाफ कथित
हिंसा की रिपोर्टो या शिकायतों पर सरकारी प्रशासन को नोटिस जारी किए गए
हैं। ऐसे मामलों में संबंधित प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने
को कहा गया है।
आयोग ने इन परिषदों की समान गौत्र में विवाहों को प्रतिबंधित करने के
लिए हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग का भी संज्ञान लिया है। आयोग
ने बयान में कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन का मुद्दा सामाजिक,
सांस्कृतिक और पारंपरिक राष्ट्रीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए व्यापक
बहस का विषय है। साथ ही यह संविधान में प्रदत्त किसी व्यक्ति के आजादी के
अधिकार से भी जुड़ा है।