अब गांव के हर घर में होगी ट्रिन-ट्रिन


नई
दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन घनत्व बढ़ाने और हर
ग्रामीण को दूरसंचार क्रांति से जोड़ने के लिए ट्राई अब नए सिरे से कोशिश
करने जा रहा है। इसके लिए वह दूरसंचार कंपनियों को कुछ नए प्रोत्साहन देने
के पक्ष में है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण [ट्राई] ने चरणबद्ध तरीके से पांच
सौ से ज्यादा आबादी वाले देश के सभी गांवों व कस्बों में दूरसंचार सेवा
पहुंचाने की एक योजना बनाई है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में तेजी से
टेलीफोन सेवाओं का विस्तार करने वाली कंपनियों को वार्षिक फीस में छूट
देने की तैयारी है। ग्रामीण इलाकों में निर्धारित समय के भीतर 50 फीसदी
टेलीफोन घनत्व करने वाली कंपनियों को वार्षिक फीस में 0.5 फीसदी और 100
फीसदी टेलीफोन घनत्व का लक्ष्य हासिल करने वाली कंपनियों को वार्षिक
लाइसेंस फीस में दो फीसदी तक की छूट दी जा सकती है। मंगलवार को टू जी
स्पेक्ट्रम आवंटन पर सरकार को सौंपी गई अपनी सिफारिशों में प्राधिकरण ने
उक्त बातें कही हैं।

प्राधिकरण ने इस बात पर अफसोस जताया है कि निजीकरण के 15 वर्षो बाद भी
ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन घनत्व 25 फीसदी से कम है। इसका मतलब यह है
कि मोबाइल कंपनियों को जो स्पेक्ट्रम दिए गए हैं उनका वे सही इस्तेमाल
नहीं कर रही हैं। ट्राई ने कहा है कि स्पेक्ट्रम एक बेशकीमती चीज है और
इसका पूरा इस्तेमाल होना चाहिए। यही कारण है कि आने वाले दिनों में जिन
कंपनियों को सेकेंड जनेरेशन [टू जी] स्पेक्ट्रम दिए जाएंगे उनके लिए अभी
से ग्रामीण टेलीफोनी संबंधी लक्ष्य तय कर दिए गए हैं।

नई कंपनियों को संचालन शुरू करने के दो वर्षो के भीतर 10 हजार से
ज्यादा आबादी वाले सभी गांवों में सौ फीसदी टेलीफोन कनेक्शन देने होंगे।
पांच हजार से दस हजार की आबादी वाले गांवों में 50 फीसदी आबादी को दो
वर्षो के भीतर और सौ फीसदी आबादी को तीन वर्षो के भीतर टेलीफोन कनेक्शन
देने की व्यवस्था की जा रही है। दो हजार से पांच हजार की आबादी वाले
ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन घनत्व तीन वर्षो के भीतर 50 फीसदी और चार
वर्षो के भीतर सौ फीसदी करना होगा।

पिछले चार वर्ष या इससे ज्यादा समय से काम कर रही दूरसंचार कंपनियों
को इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए चार वर्ष का समय और दिया गया है।
ट्राई ने यह भी कहा है कि अगर एक वर्ष के भीतर इन कंपनियों ने नए लक्ष्यों
को हासिल नहीं किया तो इनसे अर्थदंड के तौर पर अतिरिक्त स्पेक्ट्रम फीस
वसूली जा सकती है। प्राधिकरण की सिफारिशों को आगे सरकार लागू करेगी। माना
जा रहा है कि चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार प्रसार बढ़ाने का
मामला है इसलिए केंद्र सरकार इन लक्ष्यों को जल्दी पूरा कराएगी।

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