कुत्ते ने काटा? सुल्तान चाचा के पास है इलाज

बालेश्वर, जागरण संवाददाता : आज वह विज्ञान
के लिए चुनौती बन चुका है। उम्र 95 साल से ज्यादा। इस वृद्ध के मिट्टी के
टूटे-फूटे घर के आगे सूर्योदय के साथ ही आज भी लोगों की लंबी कतार लग जाती
है। ये हैं सुल्तान मुहम्मद। कुत्ते काटने और जहर निकालने के उपचार में
माहिर।

दूर-दराज से लोग इनके यहां कुत्ते काटने का इलाज के लिए आते हैं।
लोगों के दावे के अनुसार पिछले 80 साल के दौरान वे एक लाख से ज्यादा लोगों
का इलाज कर चुके हैं। ख्याति इतनी कि आसपास के इलाके में किसी से भी पूछें
तो वह सुल्तान मोहम्मद का घर खुशी से बता देगा। वैसे विज्ञान के इस युग
में पढ़े-लिखे लोगों को तंत्र-मंत्र पर शायद भरोसा न हो लेकिन अगर फायदा
नहीं मिलता है तो 80 सालों से चलाए जाने वाले मुफ्त दवा की दुकान कब की
बंद हो गई होती। क्या हिन्दू, क्या मुसलमान सभी धर्म के लोग आते हैं इलाज
करवाने के लिए।

बालेश्वर शहर के रेलवे स्टेशन के करीब एक मिट्टी के मकान में रहनेवाले
सुल्तान मोहम्मद ‘सुल्तान चाचा’ के नाम से भी जाने जाते हैं। पेशे से बकरी
के मांस का विक्रेता है। आज उम्र के 95 साल से अधिक होने के कारण अक्सर वे
अपने घर में ही रहते हैं। उक्त इलाके में यह एक ही मुसलमान परिवार है।
स्व. पिता रोशन मुहम्मद ने सुल्तान मुहम्मद को मात्र 17 साल के छोटी सी
उम्र में ही कुत्ते के काटने की दवा व मानव शरीर से जहर निकालने का गुर
सिखाया था। मरीज से एक पैसा भी मत लेना, पिता की बातों व वादा के चलते आज
तक किसी एक भी मरीज से एक रुपया भी इन 80 सालों में नहीं लिया है सुल्तान
ने। सुल्तान मोहम्मद ने बताया कि आज के युग में कुत्ते या सांप के काटने
की दवा या इंजेक्शन बनाया गया है, आप 50-60 साल पीछे चले जाइए तब थाली व
जड़ी बूटी के जरिए ही ऐसे मरीजों को ठीक किया जा रहा था। सुल्तान मोहम्मद
कहते है कि जड़ी बूटी में कितनी ताकत होती है, इसका उल्लेख रामायण में भी
मिलता है। कुत्ता काटने वाले किसी मरीज से सबसे पहले सुल्तान पूछते है कि
कुत्ता काटे हुए कितना दिन हो गया है। यदि साधारण कुत्ता काटा है तो 21
दिन बाद एवं पागल कुत्ता ने काटा है तो 7 दिन बाद वे बुलाते है मरीज को।
सूर्योदय के पहले उक्त मरीजों के पीठ पर कांसे का एक थाली मंत्र पढ़कर लगा
देते है। यदि मरीज के शरीर में जहर होता है तो थाली चुम्बक की तरह चिपक
जाती है। इस बारे में सुल्तान का कहना है कि मरीज के शरीर पर थाली लगाकर
जहर को खींच लिया जाता है। इलाज की प्रक्रिया में मरीज को एक सप्ताह से 10
दिन तक आना पड़ता है। उतने ही दिनों तक जड़ी बूटी को पक्के केले में भरकर
खाना पड़ता है। जिस दिन से मरीज की पीठ पर थाली का चिपकना बंद हो जाती है,
उसी दिन से उसका इलाज समाप्त जाताहै। सुल्तान मोहम्मद ने बताया कि 80 साल
से करीब एक लाख से ज्यादा लोगों को मैने ठीक किया है। जब तक जान रहेगी
मुफ्त में लोगों की सेवा करता रहूंगा।

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