भोपाल। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार योजना (नरेगा ) जो अब महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना
(मनरेगा) के नाम से जानी जाती है। इस योजना का उद्देश्य था कि क्षेत्र के
मजदूरों को अपने ही गाव में काम मिले और वे पलायन नहीं कर सकें, लेकिन
अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से काम मशीनों द्वारा करा लिए जाते
है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल पाता। इस कारण गरीब परिवार काम के
सिलसिले में अपना गांव छोड़ पलायन के लिए मजबूर हो रहे है। एक दूसरा पहलू
यह भी कि मजदूरों को जॉब कार्ड बनवाने में सरपंच व सचिव के पास चक्कर
लगाना पड़ते हैं, कार्ड मिल गया तो काम मिलने का झंझट और काम मिल गया तो
भुगतान में काफी समय लगता है। इन कारणों से भी ग्रामीण क्षेत्रों से मजदूर
शहर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। शहर में मजदूरी अधिक रहती है व भुगतान में
भी परेशानी नहीं होती।
29 पंचायतों में लाखों का भ्रष्टाचार : बैतूल जिले के प्रभातपट्टन
ब्लाक की 29 ग्राम पंचायतों में रोगायो में आई लाखों रुपयों की राशि का
गबन सरपंच, सचिव ने जनपद सीईओ के साथ मिलकर किया है। गबन के मामले को लेकर
जाच कमेटी भी बैठ गई है। योजना के अंतर्गत हुए ग्रेवल मार्ग निर्माण में
वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2009 तक रोड रोलर व डीजल के भुगतान के नाम पर 50
लाख से भी अधिक की राशि का फर्जी भुगतान सरपंच-सचिव ने किया है। इस
भ्रष्टाचार मामले का खुलासा तो तब हुआ, जब सारे रोड रोलर के भुगतान 29
ग्राम पंचायतों में ठेकेदार विजय मुनारे और अतुल ठाकरे के नाम पर किए गए।
इस मामले की शिकायत एक युवक ने कलेक्टर से की। इसके बाद कलेक्टर विजय आनंद
कुरील ने मामले की जाच के निर्देश दिए। प्राथमिक जाच में ही 29 लाख से भी
अधिक रोगायो राशि का भ्रष्टाचार करना पाया गया। जहा तीस हजार का कार्य
होता था, वहा 60 हजार का भुगतान किया जाता था। ग्राम पंचायत वलनी में
रोगायो में ग्रेवल मार्ग निर्माण का कुल 70 दिन कार्य हुआ। इसमें 900 रुपए
प्रतिदिन की दर से रोड रोलर लगाया गया था। इसका कुल भुगतान 63 हजार रुपए
हो रहा था, लेकिन सरपंच, सचिव ने रोड रोलर भुगतान के नाम पर 1 लाख 81 हजार
540 रुपए निकाले। 43 ग्राम पंचायतों की 68901 हजार लीटर डीजल व्यय दर्शाकर
डीजल भुगतान के नाम पर 44 लाख 21 हजार 200 रुपए का गबन सरपंच-सचिव और सीईओ
द्वारा लिया गया।
लाखों का पलीता लगा रहे अफसर : मुलताई में ग्रामीण यात्रिकी सेवा
विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता से मनरेगा को लाखों रुपयों का पलीता
लग रहा है। वर्ष 2006-07 एवं 2007-08 में विभाग द्वारा स्वीकृत कराए
करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य अधूरे पड़े है। अधूरा निर्माण होने के कारण
जो ग्रेवल सड़कें थीं, जिन पर लाखों रुपए की राशि विभाग द्वारा खर्च की जा
चुकी थी, वह सड़कों पर डली मुरम और मिट्टी के साथ बारिश में बह गई। इस तरह
लाखों रुपयों की शासकीय राशि को चूना लगगया। इन सड़कों का निर्माण जो
उपयंत्री करा रहे थे, वे भी अब ब्लाक में पदस्थ नहीं हैं और अपना
स्थानातरण करा चुके है। आरईएस मुलताई में स्वीकृत लाखों रुपए के निर्माण
कार्य वर्षो से बंद पड़े है और ठेकेदार काम नहीं करना चाहते। आरईएस एसडीओ
एके पाटिल ने बताया कि सामुदायिक भवन कामथ के ठेकेदार को नोटिस जारी कर
टेडर निरस्त करने की प्रक्रिया प्रारभ है।
पाच ग्राम पंचायतों में एक भी जाब कार्ड पर फोटो नहीं : सीहोर जिले
में योजना के प्रारभ से अभी तक दो लाख 10 हजार 762 कार्ड बनाए गए है,
जिनमें से तीन हजार 631 जाब कार्ड वितरित नहीं हो पाए है। जिले के पाचों
ब्लाक की एक-एक ग्राम पंचायत में एक भी कार्ड पर फोटो चस्पा नहीं किया
जाना सरकारी आकड़ों में ही दर्ज है। आष्टा के आठ, इछावर के 27 और
नसरुल्लागंज के 11 कार्य तीन महीने से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी
पूरे नहीं किए जा सके है। वहीं श्यामपुर तहसील के ग्राम मगरदा के सरपंच और
सचिव के खिलाफ इदिरा आवास की राशि को हड़पने का आरोप है। इसमें कलेक्टर को
की गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया था कि उनके नाम से आई राशि
को ग्राम के सरपंच और सचिव ने मिलकर बैंक से निकाल कर हड़प लिया है और
उन्हे राशि नहीं मिल पाई है। ग्राम पंचायत मगरदा के सरपंच और सचिव ने
मिलकर मनरेगा के काम में जेबीसी का इस्तेमाल कर डाला।
नियमों की जमकर उड़ रही धज्जिायां : आष्टा के गोपालपुर पंचायत के सरपंच
और सचिव ने मशीनों के माध्यम से ग्रेवल मार्ग बनाना शुरू कर दिया।
हमीदखेड़ी से गोपालपुर तक बनने वाले ग्रेवल मार्ग की लागत 4.74 लाख है।
नियमानुसार मिट्टीकरण का कार्य मजदूरों से कराया जाना चाहिए, लेकिन सरपंच
राजेंद्रसिंह और सचिव विक्रमसिंह द्वारा उक्त कार्य जेसीबी मशीन से कराया
गया है। इस मामले में सरपंच, सचिव को नोटिस जारी किए गए है।
मजदूर नहीं मिलने से काम अटके : देवास जिले में मनरेगा के तहत विभिन्न
ग्राम पंचायतों में सैकड़ों निर्माण कार्य स्वीकृत हो चुके हैं, लेकिन
मजदूर नहीं मिलने के कारण ये कार्य अटके पड़े हैं। स्थिति यह है कि जिले की
25 से अधिक ग्राम पंचायतों में वर्ष 2007-08 से स्वीकृत कार्य अभी तक पूरे
नहीं हो पाए हैं। फलस्वरूप इस योजना के तहत आई करोड़ों की राशि का उपयोग ही
नहीं हो पाया है। वर्ष 2009-10 में 14535.98 लाख की राशि इस योजना के तहत
किए जाने वाले कार्य हेतु प्राप्त हुई थी। इसमें से मात्र 9814.96 लाख
रुपए ही खर्च हो पाए हैं।
समय पर नहीं हो रहा मजदूरी का भुगतान : गुना जिले में हजारों मजदूर
अपनी मजदूरी के भुगतान के लिए बैंक एवं अधिकारियों के चक्कर लगाते फिर रहे
हैं। जिले की कई पंचायतों में काम भी सरपंच एवं सचिवों की मेहरबानी पर
निर्भर है, अगर काम मिल भी गया तो मजदूरों को मजदूरी का भुगतान समय पर
नहीं होने से उनका मनरेगा से भरोसा उठता जा रहा है। जिले में कई पंचायतों
मेंचलरहे कार्यो में मजदूरों का टोटा भी पड़ने लगा है। इस तरह ग्रामीण
मजदूरों को साल भर में 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने वाली यह महत्वपूर्ण
योजना भी अन्य योजनाओं की तरह दिखावे मात्र रह गई है। मजदूरों की सबसे बड़ी
समस्या है कि उसे पहले जॉब कार्ड बनवाने में सरपंच व सचिव के पास चक्कर
लगाना पड़ता है, कार्ड मिल गया तो काम मिलने का झंझट और काम मिल गया तो
भुगतान की परेशानी होती है। इन कारणों से ग्रामीण क्षेत्रों से मजदूर शहर
की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।
चार ग्राम पंचायत के गरीब पलायन को मजबूर : सागर जिले की बण्डा जनपद
पंचायत की ग्राम पंचायत पड़वार ढाड़ व बहरोल में रोजगार न मिलने से गरीब
परिवारों पर रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है। काम की तलाश में पड़वार, ढाड़
व बहरोल के गरीबी रेखा के अंतर्गत जीवन यापन करने वाले जाब कार्डधारी
पलायन को मजबूर है। ग्राम पंचायत बहरोल के सचिव सागर में, पड़वार के सचिव
जमुनिया ग्राम पंचायत में तथा ढाड़ के सचिव मुख्यालय पर निवास नहीं करते
है। इसके कारण में मनरेगा के जाब कार्डधारियों को रोजगारमूलक कार्यो की
जानकारी नहीं मिल पाती है तथा सचिवों द्वारा अपने विशेष पहचान वाले जाब
कार्डधारियों के नाम मस्टर रोल में चढ़ाकर इनके नाम की राशि बैंक डाकघरों
के माध्यम से आहरण की जा रही है। वास्तविक रोजगार चाहने वाले हितग्राहियों
की रोजगार नहीं मिल रहा है जिससे मजदूरों को पलायन हेतु मजबूर होना पड़ रहा
है। कपिल धारा कूप निर्माण आदि के कार्यो में निजी स्तर के कूपों का
निर्माण मशीनों से किया जा रहा है।
तीस लाख का किया गबन : बड़वानी जिले में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को
मंडवाड़ा के निर्माणाधीन शिव मंदिर परिसर निर्माण के लिए तीन बार अलग-अलग
राशि मिली, जो कुल 67 लाख 27 हजार रुपये है। इसमें घटिया निर्माण के साथ
फर्जी मस्टर रोल व राशि में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत मिली है। मंदिर
निर्माण समिति के लोगों का कहना है कि उन्होंने यहां पर आये मटेरियल व
निर्माण कार्य में हुए सम्पूर्ण खर्च का ब्यौरा रखा है, जिसके हिसाब से
मंदिर परिसर निर्माण पर महज 17 लाख खर्च किए गए हैं। ग्रामीणों के मुताबिक
इस कार्य में अब तक 30 लाख रुपये का गबन हुआ है, जबकि 20 लाख 32 हजार की
रिर्टनिंगवाल का निर्माण कार्य जारी है। यहां पर बने पौण्ड में पानी ठहर
नहीं रहा है, इस बात से घबराकर विभाग ने सीमेंट कांक्रीट के बाद सरिये
बिछाने का काम शुरू किया, जिस पर ग्रामीणों ने रोक लगा दी। इस कार्य में
विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है।