जागरण टीम, जालंधर। कर्ज में डूबी सरकार
किसानों के साथ किए वादों से हाथ खींचने लगी है। गेहूं मंडी में पहुंचते
ही लेनदार दस्तक देने लगे हैं। पीएडीबी ने सूबे के डेढ़ हजार किसानों के
गिरफ्तारी वारंट जारी करवा दिए हैं। बैंक की इस कार्रवाई से किसानों में
हड़कंप मच गया है।
सूबे के 20 हजार किसानों की तरफ बैंक का 325 करोड़ रुपये बकाया है और
करीब 70 हजार किसान डिफाल्टर लिस्ट में हैं। बैंक ने बठिंडा में 200 व
मानसा में 400 किसानों के गिरफ्तारी वारंट निकाले हुए हैं। डिफाल्टर लिस्ट
में सबसे ज्यादा 60 फीसदी किसान मालवा क्षेत्र से हैं।
स्टेट कोआपरेटिव एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक के जनरल मैनेजर गुरमीत
सिंह बराड़ बताते हैं कि किसानों से सिर्फ बैंक 1.35 करोड़ रुपये वसूली कर
पाया। 15 से 16 फीसदी वसूली मानसा क्षेत्र से हुई है। मुक्तसर व बठिंडा
में 30 से 40 फीसदी कर्ज की वसूली हुई है। दस वर्ष पहले रिकवरी की दर जहां
90 फीसदी थी, अब यह महज 40 फीसदी रह गई। वर्ष 2004-05 के दौरान जालंधर में
वसूली दर 73 फीसदी, पटियाला में 63 फीसदी, फरीदकोट व फिरोजपुर में 32
फीसदी थी। इस समय जालंधर व पटियाला डिवीजन की रिकवरी 44 से 48 फीसदी रह
गई।
पंजाब किसान यूनियन (पीकेयू) के प्रधान अजमेर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि
वह गिरफ्तारी वारंट के मुद्दे पर सरकार से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि
गठबंधन सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। ऐसे में अब उन
पर दोबारा बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने सावधान किया कि किसानों को
आत्महत्या के लिए मजबूर न किया जाए।