स्थानीय निकायों को 1300 करोड़ का अनुदान

प्रदेश के स्थानीय निकायों की खराब आर्थिक स्थिति और इस कारण बंद हो
चुके विकास कार्यो को गति देने के लिए 13वें वित्त आयोग ने अपने खजाने का
मुंह खोल दिया है। इसी के मद्देनजर ने निकायों को अगले पांच वर्षो के लिए
लगभग 1300 करोड़ रुपए का अनुदान देना मंजूर किया है, जो पिछले आयोग से
लगभग पांच गुना अधिक है। प्रदेश की 184 स्थानीय निकायों में से लगभग 170
नगरपालिकाएं इस समय जबरदस्त घाटे में हैं। शेष निकायों के हालात भी बहुत
अच्छे नहीं है। यही कारण है कि आयोग ने 13 सौ करोड़ रुपये में से लगभग 781
करोड़ रुपये की ग्रांट स्वीकृत कर दी है। उम्मीद है कि इससे निकायों के
रोजमर्रा के कामकाज को ठप पड़ने से बचाया जा सकेगा। बारहवें वित्त आयोग से
प्रदेश के निकायों को लगभग 220 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया था, जबकि
इस बार यह राशि लगभग छह गुना अधिक कर दी गई है।

सूत्रों के अनुसार, इस राशि का उपयोग निकाय ठोस कचरा प्रबंधन और सूचना
प्रौद्योगिकी के प्रोजेक्ट्स पर कर सकते हैं। हालांकि इस अनुदान को
प्राप्त करने के लिए निकाकयों को लगभग एक दर्जन ढांचागत परिवर्तन करने
होंगे बावजूद इसके यह अनुदान खस्ताहाल हो चुकी नगरपालिकाओं के लिए संजीवनी
हो सकता है। अनुदान प्राप्ति के लिए निकायों को अब अपने अकाउंटित सिस्टम
में भी परिवर्तन करना होगा। इसके अलावा प्रोपर्टी टैक्स वसूली, निकाय को
लोकायुक्त के निरीक्षण में लाना और अपनी रिपोर्ट नियमित रूप से सीएजी को
सौंपने जैसे परिवर्तन भी करने होंगे। इसके अतिरिक्त कुछ और भी परिवर्तन
निकायों को अपने काम काज में करने होंगे, जिसके बाद ही अनुदान की शेष 413
करोड़ रुपए की राशि निकायों को जारी की जाएंगी।

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