दो रुपए किलो गेहूं की योजना से वंचित रह जाएंगे लाखों परिवार
केस 1
जगतपुरा के कठपुतली नगर में रहने वाली मंजू भाट के पति की दुर्घटना के बाद मृत्यु हो गई थी। उसके 4 लड़कियां और एक लड़का है। कटपुतली बनाकर बेचने से मात्र 1200-1300 रुपए की आय होती है। कई बार एक वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पाता। सर्दियों में भी बच्चों के लिए कपड़े नहीं मिलते। कई बार प्रयासों के बाद भी बीपीएल की सूची में शामिल नहीं।
जगतपुरा के मनोहरपुरा में रहने वाली रमेश और उसका पति राजीव दोनों विकलांग है। दो बच्चे भी है। राजीव ट्राई साइकिल पर जाकर गुटखा सुपारी बेचकर 1000 या 1200 रुपए कमा लेता है। छप्परनुमा एक कमरे में संपति के नाम पर एक भगोनी, स्टोव, चम्मच, दो जोड़ी बिस्तर और टूटा सा दरवाजा। बीपीएल कार्ड या विकलांग पेंशन कुछ नहीं।
जयपुर. प्रदेश की राजधानी के ये मामले तो बानगी भर हैं। अकेले जयपुर में ऐसे सैंकड़ों मामले मिल जाएंगे जो दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है, मुश्किल से पेट भरते है, लेकिन बीपीएल कार्ड नहीं है। ऐसी स्थितियां वाले मामले प्रदेश के हर शहर कस्बे या गांव मिल जाएंगे। इनकी संख्या वर्तमान में दिखाई गई संख्या से काफी अधिक होने की संभावना है। राज्य में सूचीबद्ध बीपीएल परिवारों की संख्या 31 लाख से अधिक है।
राज्य सरकार ने बीपीएल परिवारों को 2 रुपए किलों गेहूं देने की घोषणा की है। लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को मिल पाएगा जो बीपीएल की सूची में है या राज्य बीपीएल घोषित किए गए है या जो 2002 के सर्वे में शामिल हैं। लेकिन उन लोगों का क्या होगा जो लोग गरीबी रेखा से नीचे तो हैं लेकिन कार्ड नहीं।
ये हो उपाय
इन परिवारों को बीपीएल का कार्ड बनाने के लिए सरकार को एक बार फिर से अभियान चलाना चाहिए। साथ ही नियमों को सरल करना चाहिए। राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणीकरण की अनिवार्यता के स्थान पर मौके पर जाने वाले कर्मचारी और क्षेत्र के विधायक, सरपंच, वार्ड पार्षद के प्रमाणपत्र को मान्यता दी जानी चाहिए।
प्रदेश में बीपीएल परिवार
प्रदेश में वर्तमान में 21 लाख 15,968 बीपीएल परिवार हैं। इनके साथ ही दस लाख स्टेट बीपीएल परिवार भी है। इन सभी के लिए कार्ड बनाने का काम मंगलवार से शुरू हो गया है। इनमें भी तीन श्रेणियां है, पहली सामान्य बीपीएल, दूसरी अंत्योदय श्रेणी और तीसरी अन्नपूर्णा योजना है। अन्नपूर्णा योजना में मुफ्त अनाज दिया जाता है। इस अभियान के दौरान उन लोगों के कार्ड बनाने का प्रावधान नहीं रखा गया है जो इसके लिए हकदार हैं।