छत्तीसगढ़ में जाल फैलाना शुरु कर दिया है। निम्न स्तरीय और घटिया दवाएं
यहां भी बेची जा रही है।
इन दवाओं में बीमारी दूर करने के महत्वपूर्ण घटक तयशुदा मापदंडों से बेहद
कम या बिलकुल गायब हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारों के लिए ज्यादा
दिनों तक इन्हीं दवाओं के भरोसे रहना जानलेवा साबित हो सकता है।
खाद्य एवं औषद्यि विभाग द्वारा करायी गई जांच में चौंकाने वाली हकीकत
सामने आयी है। जांच में एक-दो दवा नहीं बल्कि 9 दवाओं के सैंपल फेल हुए
हैं। ये तमाम दवाएं अलग-अलग राज्यों में निर्मित हैं। नियंत्रक खाद्य एवं
औषद्यि प्रशासन के. सुब्रह्मण्यम ने कोलकाता स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला से
रिपोर्ट आने के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी।
छत्तीसगढ़ के ड्रग विभाग की रिपोर्ट आने के बाद केन्द्र सरकार ने घटिया
दर्जे की कुछ दवाओं के निर्माण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगवा दी है। कुछ
दवाओं के निर्माण को आगामी आदेश तक रोका गया है। एक-दो दवा कंपनियों के
लायसेंस अस्थाई रुप से सस्पेंड भी किये गये हैं।
इन दवाओं का निर्माण हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, थाणो, गुजरात, राजस्थान,
मध्यप्रदेश और चंडीगढ़ में हुआ है। ड्रग विभाग ने नियंत्रक श्री
सुब्रह्मण्यम के निर्देश पर राज्य के तकनीकी अधिकारी एस. बाबू के नेतृत्व
में दवाओं के सैंपल कलेक्ट किए थे।
ड्रग विभाग की टीम ने राज्य के करीबन सभी बड़े शहरों के मेडिकल स्टोर्स से
40 दवाओं के सैंपल लिए थे। पिछले एक साल से सैंपल कलेक्ट करने की
प्रक्रिया चल रही थी। जिन दवाओं की गुणवत्ता पर शक था, उन सभी के सैंपल
लेने के बाद जांच के लिए कोलकाता भेजा गया।
9 दवाओं के सैंपल फेल होने के बाद ड्रग विभाग के अफसरों ने बिना विलंब किए
रिपोर्ट भारत सरकार को भेज दी। भारत सरकार ने उन सभी राज्य के ड्रग विभाग
को रिपोर्ट के साथ दवाओं की सूची भेजी और आवश्यक निर्देश दिए, जिसके बाद
उपयरुक्त कार्रवाई की गयी।
जान का खतरा
लंबे समय तक कम घटक वाली दवाएं लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम
होती है। बीमारी के कीटाणु शरीर में फैलते हैं। तत्काल दवा नहीं बदलने पर
रोगी की जान पर खतरा बढ़ जाता है।-डा. जीबी गुप्ता, मेडिसिन विभाग के
एचओडी मेडिकल कालेज रायपुर
राज्य भर में अलर्ट
दवाओं के सैंपल फेल होने के बाद प्रत्येक मेडिकल स्टोर्स संचालक को सावधान
कर दिया गया है। इन दवाओं की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है। दुकानदार
कंपनी को दवा वापस करेंगे। -के.सुब्रहमण्यम, औषधि नियंत्रक