डोमचांच (कोडरमा)। नीरू पहाड़ी से पांच किमी उत्तर ढोढाकोला रोड में कुबड़ी
घाटी मोड़ से तीन किमी बायी ओर (पश्चिम) जाने वाली कच्ची सड़क जो घनघोर
जंगलों को चीरकर सीधा समसिहरिया एवं हदहदवा में पत्थरों का अवैध उत्खनन
धड़ल्ले से हो रहा है। रिजर्व फारेस्ट के अंतर्गत पड़ने वाले इन माइंस में
विगत 8-10 वर्षो से उत्खनन का काम हो रहा है जिसमें प्रतिदिन दर्जनों
शक्तिमान बोल्डर स्थानीय क्रशर मिलों को आपूर्ति की जा रही है। इससे
प्राकृतिक संपदाओं का दोहन हो रहा है। पत्थर माफिया भू संपदा में सेंधमारी
कर चांदी काट रहे हैं। इससे प्रतिदिन राजस्व की भारी हानि हो रही है। साथ
ही वन एवं पर्यावरण को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गौरतलब हो कि यहां
पर संचालित लगभग 500 क्रशर मिलों को प्रतिदिन प्रति क्रशर 800 शक्तिमान
बोल्डर की पिसाई होती है। ऐसे में इतने क्रशरों को बोल्डर कहां से प्राप्त
होगा। मुख्य खदान अंबादाह जहां से प्रतिदिन सैकड़ों शक्तिमान ट्रक बोल्डर
का उत्पादन होता था, लेकिन यहां कुछ लीज समाप्त होने के कारण यहां का
उत्पादन एक तिहाई होकर रह गया है। यही कारण है कि क्रशरों में अवैध
बोल्डरों की धड़ल्ले से आपूर्ति होती है। इलाके के समसिहरिया और हदहदवा में
लगातार अवैध उत्खनन जारी है। पिछले वर्ष प्रशासन के पहल पर छापामारी कर
यहां से भारी मात्रा में उत्खनन सामग्री आदि बरामद की गई थी, लेकिन कुछ ही
महीने बाद पुन: पदाधिकारियों की मिलीभगत से काम जारी पुन: शुरू है।
मानदंडों के मुताबिक रिजर्व फारेस्ट में लीज का कोई प्रावधान नहीं है और न
ही किसी सूरत में उत्खनन करने का आदेश। फिर भी मानकों की धज्जि्यां
माइनिंग व वन विभाग मिलकर उड़वाने में कोई कसर नहीं होड़ रहे हैं। प्रशासन
सबकुछ जानकर भी अंजान बना है। इससे इलाका का पर्यावरण भी दूषित हो रहा है।
घाटी मोड़ से तीन किमी बायी ओर (पश्चिम) जाने वाली कच्ची सड़क जो घनघोर
जंगलों को चीरकर सीधा समसिहरिया एवं हदहदवा में पत्थरों का अवैध उत्खनन
धड़ल्ले से हो रहा है। रिजर्व फारेस्ट के अंतर्गत पड़ने वाले इन माइंस में
विगत 8-10 वर्षो से उत्खनन का काम हो रहा है जिसमें प्रतिदिन दर्जनों
शक्तिमान बोल्डर स्थानीय क्रशर मिलों को आपूर्ति की जा रही है। इससे
प्राकृतिक संपदाओं का दोहन हो रहा है। पत्थर माफिया भू संपदा में सेंधमारी
कर चांदी काट रहे हैं। इससे प्रतिदिन राजस्व की भारी हानि हो रही है। साथ
ही वन एवं पर्यावरण को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गौरतलब हो कि यहां
पर संचालित लगभग 500 क्रशर मिलों को प्रतिदिन प्रति क्रशर 800 शक्तिमान
बोल्डर की पिसाई होती है। ऐसे में इतने क्रशरों को बोल्डर कहां से प्राप्त
होगा। मुख्य खदान अंबादाह जहां से प्रतिदिन सैकड़ों शक्तिमान ट्रक बोल्डर
का उत्पादन होता था, लेकिन यहां कुछ लीज समाप्त होने के कारण यहां का
उत्पादन एक तिहाई होकर रह गया है। यही कारण है कि क्रशरों में अवैध
बोल्डरों की धड़ल्ले से आपूर्ति होती है। इलाके के समसिहरिया और हदहदवा में
लगातार अवैध उत्खनन जारी है। पिछले वर्ष प्रशासन के पहल पर छापामारी कर
यहां से भारी मात्रा में उत्खनन सामग्री आदि बरामद की गई थी, लेकिन कुछ ही
महीने बाद पुन: पदाधिकारियों की मिलीभगत से काम जारी पुन: शुरू है।
मानदंडों के मुताबिक रिजर्व फारेस्ट में लीज का कोई प्रावधान नहीं है और न
ही किसी सूरत में उत्खनन करने का आदेश। फिर भी मानकों की धज्जि्यां
माइनिंग व वन विभाग मिलकर उड़वाने में कोई कसर नहीं होड़ रहे हैं। प्रशासन
सबकुछ जानकर भी अंजान बना है। इससे इलाका का पर्यावरण भी दूषित हो रहा है।