नई
दिल्ली। परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
[एनडीएमए] के विशेषज्ञों की टीम ने गुरुवार देर रात मायापुरी कबाड़ मार्केट
की फिर से जांच की। इस दौरान उनके हाथ कुछ नहीं लगा, जिसके बाद
वैज्ञानिकों ने गामा सेल मशीन खरीदने वाले व्यवसायी की दुकान को सुरक्षित
घोषित करार दिया है।
हालांकि वैज्ञानिक की चिंता अभी भी बाजार में मौजूद कोबाल्ट-60 के
अन्य 44 स्रोत को लेकर है, जिन्हें वह राजधानी दिल्ली व यहां के कबाड़
मार्केट में होने की संभावना व्यक्त कर चुके हैं।
जांच दल में शामिल भारतीय पर्यावरण रेडिएशन मानीटरिंग नेटवर्क के
विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में जो गामा सेल मशीन लगाई गई
थी, उसमें कोबाल्ट 60 के 54 स्रोत इस्तेमाल थे। गत 13-14 अप्रैल में हुई
पड़ताल में गिरिराज की दुकान से सिलेंडर के रूप में दो स्रोत मिले थे। इसके
बाद दीपक जैन की दुकान से भी आठ स्रोत मिले, जो इस मशीन में इस्तेमाल हुए
थे। इस लिहाज से अभी तक 10 स्रोतों का ही पता चल सका है। जबकि 44 स्रोत
अभी भी सामने नहीं आ पाए हैं। यही वजह रही कि वैज्ञानिक गुरुवार रात इन
घातक रेडियोधर्मी तत्वों की तलाश में मायापुरी कबाड़ मार्केट पहुंचे थी।
टीम ने डीयू से गामा सेल मशीन खरीदने वाले हरचरण सिंह भोला की दुकान
की गहनता से जांच की। विशेषज्ञों ने दो घंटे की पड़ताल के बाद दुकान को
सुरक्षित बताया। इसके बाद दीपक जैन की दुकान के बाहर पड़ी मिट्टी में
रेडिएशन की जांच की। जहां सब कुछ समान्य पाया गया।
उधर, व्यवसायी हरचरण सिंह भोला ने बताया कि मशीन खरीदने के बाद 35 से
40 किलो वजनी लोहे का पत्तर उतारने के बाद उसने बाकी कबाड़ गिरिराज को बेच
दिया। लेड से सील हुए कोबाल्ट-60 वाले हिस्से को उसने नहीं छुआ। हांलाकि
ऐहतियात के तौर पर विशेषज्ञों ने उसके नाखून व आंखों की जांच की।