नई
दिल्ली। बाघ अभयारण्यों के करीब बसे गांवों को दूर बसाने के काम में
खामियों का पता लगाने और प्रक्रिया में तेजी लाने के मकसद से केंद्र सरकार
ने पांच समितियों का गठन किया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल में गांवों को बाघ वाले क्षेत्र से
दूर बसाने के काम में तेजी लाने की अपील राज्यों से की थी। समितियों में
वन्यजीव विशेषज्ञ और संरक्षक होंगे। उनसे बाघ अभ्यारण्यों से लोगों को
अन्यत्र बसाने में हुई वास्तविक प्रगति का पता लगाने के अलावा यह सुझाव
देने को कहा जाएगा कि कैसे संवेदनशील ढंग से इस कार्य में तेजी लाई जाय।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकार [एनटीसीए] के एक वरिष्ठ अधिकारी ने
बताया कि वन्यजीव संरक्षण [कानून] 1972 तथा प्राधिकार के दिशानिर्देश के
तहत विशेषज्ञ लोगों को अन्यत्र बसाने के काम में हुई प्रगति का जायजा
लेंगे।
समिति अन्यत्र ले जाए गए लोगों की शिकायत पर गौर करेंगे और प्रक्रिया
में खामियों का भी पता लगाएंगे। इस समय केवल 1411 बाघ जंगल में हैं। शिकार
के अलावा उनके और मनुष्य के बीच संघर्ष एक बड़ी चिंता का कारण है। एक लोक
लेखा समिति ने भी हाल में इस बात का उल्लेख किया था कि जुलाई 2005 में 28
बाघ अभयारण्यों में से 26 के पास के इलाकों में 1427 गांव हैं जिनमें
64951 परिवार हैं।