सिमरिया : लावालौंग प्रखंड के टिकदा टोला सुथाय गांव के लोग भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे है. गांव वाले पत्ता चूसकर प्यास बुझा रहे हैं. सखुवा, आंवला का पत्ता चुस कर तरास मिटाते है. सुथाय गांव प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी दूरी पर स्थित है. इस गांव के लोग सालोंभर मंहगी नाला से पानी पीते है. इन
दिनों पड़ रही भीषण गरमी के कारण नाला सूख गया है. ग्रामीणों का कहना है कि
आजतक गांव में विकास एक भी कार्य नहीं हुआ है. न कुआं बना और न ही चापाकल
लगा. ग्रामीण गणेशी गंझू ने बताया कि गांव वषरे से उपेक्षित है. गांव की
आबादी 75 है.
चारों ओर पहाड़ों से घिरा है. गांव जाने के लिए सड़क भी नहीं है. पगडंडियों
के सहारे आवाजाही करते हैं. गांव में आजतक मोटरसाइकिल तक नहीं पहुंचा है.
ग्रामीण राधे गंझु ने बताया कि आजकल भोजन नहीं पानी की चिंता सता रही है.
छोटे बच्चों को प्यास लगता है, तो सखुआ का पत्ता चूसने के लिए दिया जाता है.
दिनों पड़ रही भीषण गरमी के कारण नाला सूख गया है. ग्रामीणों का कहना है कि
आजतक गांव में विकास एक भी कार्य नहीं हुआ है. न कुआं बना और न ही चापाकल
लगा. ग्रामीण गणेशी गंझू ने बताया कि गांव वषरे से उपेक्षित है. गांव की
आबादी 75 है.
चारों ओर पहाड़ों से घिरा है. गांव जाने के लिए सड़क भी नहीं है. पगडंडियों
के सहारे आवाजाही करते हैं. गांव में आजतक मोटरसाइकिल तक नहीं पहुंचा है.
ग्रामीण राधे गंझु ने बताया कि आजकल भोजन नहीं पानी की चिंता सता रही है.
छोटे बच्चों को प्यास लगता है, तो सखुआ का पत्ता चूसने के लिए दिया जाता है.