भर्तियां जिला परिषदों के माध्यम से कराए जाने के सरकार के फैसले पर
लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं। राज्य के पूर्व शिक्षामंत्रियों का
मानना है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्तियां नहीं होने से
भर्ती प्रक्रिया में धांधली की आशंका है। इसमें नीचे से लेकर ऊपर तक
घालमेल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
उधर शिक्षामंत्री भंवरलाल मेघवाल ने कहा है कि यह फैसला सोच-विचार के
बाद ही लिया गया है। प्रदेश में करीब 50 हजार प्राथमिक स्कूल हैं। शिक्षा
का अधिकार कानून लागू होने के कारण भविष्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों
की भर्ती भी होनी है।
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी कहते हैं, अब शिक्षा में
भ्रष्टाचार की आशंका काफी बढ़ जाएगी। बड़े स्तर पर धांधलियों के कारण ही
2002 में यह व्यवस्था बंद कर आरपीएससी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उस समय
कोर्ट में 680 याचिकाएं दायर होने के बावजूद जिला परिषदों से भर्ती
व्यवस्था बंद की गई थी।
कालीचरण सराफ का कहना है कि जिला परिषदों के माध्यम से भर्ती होने से
शिक्षा में योग्यता के साथ अब अन्याय होने लगेगा। वर्तमान व्यवस्था ही
प्रभावी रहनी चाहिए। शिक्षक संगठनों में भी सरकार के इस निर्णय पर अलग-अलग
राय हैं। अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तू) के प्रदेशाध्यक्ष
रामकृष्ण अग्रवाल का कहना है कि तृतीय श्रेणी भर्ती प्रक्रिया में किए गए
बदलाव का खमियाजा भविष्य में प्रदेश की शिक्षा को उठाना पड़ेगा।
शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश महामंत्री गिरीश कुमार शर्मा का कहना
है कि भर्ती की प्रक्रिया आरपीएससी की तर्ज पर होनी चाहिए। इधर पंचायतीराज
कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता नारायण सिंह का कहना है कि जिला परिषदों
के माध्यम से भर्ती से शिक्षकों की भर्तियां उसी जिले में होंगी और पढ़ाई
का बेहतर माहौल बनेगा। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के शिक्षक प्रकोष्ठ
के अध्यक्ष रामगोपाल शर्मा का कहना है कि जिला परिषदों के माध्यम से भर्ती
तो ठीक है, लेकिन नियुक्तियों का आधार मेरिट ही होना चाहिए।
नुकसान का गणित
बड़ी संख्या में योग्य उम्मीदवार नौकरी से वंचित हो जाएंगे। आरपीएससी भर्ती में सिर्फ योग्य उम्मीदवार ही निकल पाते हैं।
नियुक्तियों में धांधली की आशंका। नीचे से लेकर ऊपर तक जनप्रतिनिधियों का दबाव बढ़ेगा।
निचले स्तर पर जनप्रतिनिधियों का शिक्षकों पर दबाव बढ़ने से शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। शिक्षकों में भी राजनीति बढ़ेगी।
योग्य होने के बावजूद एक जिले का उम्मीदवार दूसरे जिले में नौकरी हासिल नहीं कर पाएगा।
यह होगा फायदा
उन अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा जो अंकों की दौड़ में पिछड़ने के कारण
नौकरी से वंचित रह जाते हैं। जिलेवार मेरिट बनने से बड़ी संख्या में इन
छात्रों को फायदा।
संबंधित जिले के दूरदराज क्षेत्रों में नियुक्तियों में आसानी। संबंधित क्षेत्र का व्यक्ति आसानी से सेवाएं देगा।
एप्रोच के बूतेराजधानी से तबादला करवाने वालों की संख्या कम होगी।
तबादलों का दबाव कम होने से अन्य शैक्षिक गतिविधियां ठीक से संचालित हो
सकेंगी।
जिला परिषदों से भर्ती का फैसला सरकार का है। यह काफी सोच-विचार के बाद उठाया गया कदम है। जो होगा ठीक ही होगा।
– मास्टर भंवरलाल, शिक्षामंत्री