समूह ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अमरीका इस मुद्दे पर अपने समझौते को अंतिम रूप दे,इसके लिए विश्व अंतहीन समय तक इंतजार नहीं कर सकता। समूह के नेताओं की रविवार को तीसरी बैठक हुई।
बैठक के बाद जारी वक्तव्य में इस समझौते के बारे में बात कही गई है। बेसिक समूह के नेता जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बनाए जाने वाले समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को तेज करने पर विमर्श के लिए यहां एकत्रित हुए हैं।
खबरों में कहा गया था कि अमरीका में जलवायु परिवर्तन पर घरेलू विधेयक को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है, इस पर संकेत देते हुए वक्तव्य में कहा गया है ‘वार्ता में बदलाव की जरूरत है।’
वक्तव्य के मुताबिक मंत्रियों को लगता है कि यूएन फ्रेमवर्क कन्वैंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)और क्योटो प्रोटोकॉल के तहत कार्रवाई में लंबे समय के सहयोग पर कानूनी तौर पर बाध्यकारी कोई परिणाम 2010 में मैक्सिको के कानकुन में आ जाना चाहिए या ज्यादा से ज्यादा 2011 में दक्षिण अफ्रीका में तो आ ही जाना चाहिए।
इस बात पर जोर देते हुए कि इस तरह के समझौते के न होने से विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा, मंत्रियों ने कहा कि ऐसे समझौते में क्योटो प्रोटोकॉल के तहत एनेक्स वन पार्टीज के दूसरे प्रतिबद्धता अंतराल के लिए उत्सर्जन कम करने का एक लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए।
बैठक में भारत की ओर से पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश, चीन की ओर से नैशनल डवलपमैंट एंड रिफॉर्म्स कमीशन के उपाध्यक्ष क्सी झेनहुआ, ब्राजील की ओर से पर्यावरण मंत्री इजाबेला टेक्सीरिया और दक्षिण अफ्रीका की ओर से जल एवं पर्यावरण मामलों के मंत्री बुयेलवा सोंजिका ने भाग लिया।
बैठक में मंत्रियों ने उन क्षेत्रों पर भी चर्चा की,जिन पर जल्द प्रगति की जा सकती है। मंत्रियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी समझौते के लिए समानता अहम मुद्दा है।