पटना गंगा व सोन के तटों पर बसे पटना जिला
के तमाम प्रखंडों में ही नहीं बल्कि राजधानी भी तेज गर्मी के साथ पानी की
समस्या जूझ रही है। पेयजल संकट दरअसल यहां की नियति बन गई है। चापाकल व
कुएं सूखने लगे हैं। सरकारी नलकूपों की स्थिति जर्जर है। गांव से शहर तक
में ‘रेन हार्वेस्टिंग’ की बात तो हो रही पर संपूर्णता में इसे आकार नहीं
पा सका।
शहरी विकास योजनाओं की प्राथमिकता में राजधानी को पेयजलापूर्ति मामले
में ऊपर रखा गया है पर हकीकत यही है कि 44 डिग्री गर्मी के लायक जलापूर्ति
की तैयारी नहीं है। नई बोरिंग चालू नहीं हुई। 25 वर्षो से बंद 19 जल
मीनारों को चालू करने की कोई कोशिश नहीं हुयी। पानी के लिए लोगों का सड़कों
पर उतरना रूटीन में शामिल हो गया है। मध्य और पूर्वी पटना से पानी के लिए
सड़क पर उतरे लोगों की प्यास बुझी नहीं पीएमसीएच, गर्दनीबाग इलाका जल संकट
से जूझ रहा है। कंकड़बाग में लगी चार नई बोरिंग का कोई फायदा नहीं। सात सौ
किलोमीटर पाइपलाइन है। बीते दस वर्षो में कई नये मुहल्ले बसे। आबादी बढ़ी।
लेकिन नया पाइपलाइन नहीं। जल पर्षद ने जल मीनारों के बजाये सीधे बोरिंग से
आपूर्ति कर रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो मनेर के करीब 25 गांव में प्लोराइड
प्रभावित लोगों के लिए जलापूर्ति की योजनाएं बनती नजर आ रही है। खुशरुपुर
अधिकांश कूप व नलकूप सूखने लगे है। प्रखंड में 35 प्रतिशत से ज्यादा
भूगर्भ जल का दोहन हो रहा है। जहां पेयजल पर आफत है, वहां प्याज की खेती
करने वाले वाले दानापुर, मनेर, फतुहा, पटना सिटी और धनरूआ के किसान पटवन
को ले परेशान हैं। पालीगंज के इलाके में पीएचईडी और जन प्रतिनिधियों
द्वारा लगाये गये ज्यादातर चापाकल ‘शो-पीस’ बने हैं।
बाढ़, मसौढ़ी, मोकामा, फुलवरीशरीफ, खगौल और दानापुर नगर परिषद के कई वार्डो में जलापूर्ति ठप है।
बख्तियारपुर प्रखंड के वाहापुर से अथमलगोला के रूपस तक गंगा तेजी सूख
रही है। जलस्तर में गिरावट है। घोसवरी में पीएचईडी का नलकूप तैयार है।
बेलछी में ग्रामीण जलापूर्ति केन्द्र बने हैं
सोन नदी के तटवर्ती प्रखंड बिहटा के 26 पंचायतों में पानी की समस्या
जलस्तर घटने के कारण 35 से 40 फीट नीचे चला गया है। बिहटा, सिमरी,
सदीसोपुर व पैनाल की बोरिंग जर्जर है। गंदा पानी मिलता है।
दानापुर में 8 टंकी व इतने ही मोटर पंप हैं। बिजली संकट और जर्जर
पाइपलाइन शहरी क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए रूलाने लगी है। मसौढ़ी का
पम्प हाउस खस्ता है। खासी परेशानी। जलस्तर नीचे जा रहा है। नगर परिषद के
26 वार्डो में से अधिकांश में अभी तक पाइपलाइन से पानी नहीं मिल रहा है।
लोग चापाकल व कुओं पर निर्भर है। बिक्रम में बनी पानी टंकी में दरार आ गई
है। नलों से गंदा पानी गिरता है।