नई
दिल्ली। देश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में एक हजार अतरिक्त माडल
स्कूल स्थापित किए जाएंगे, जो बेहतर शिक्षा प्रदान करने का काम करेंगे।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने
शुक्रवार को सरकारी क्षेत्र में एक हजार अतिरिक्त माडल स्कूलों की स्थापना
को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही सरकारी क्षेत्र में स्थापित होने वाले माडल
स्कूलों की संख्या 3500 हो जाएगी। इसके अतिरिक्त 2500 अन्य माडल स्कूल
ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक निजी भागीदारी में खोले जाएंगे जिनके लिए
तौर तरीकों पर काम चल रहा है।
बयान में कहा गया कि अतिरिक्त एक हजार स्कूलों पर अनुमानत: 3304 करोड़
रुपये का व्यय होगा, जिसमें 2478 करोड़ रुपये केंद्र सरकार वहन करेगी।
समिति ने 2008 में सरकारी क्षेत्र में 2500 माडल स्कूल स्थापित किए जाने
के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत इन 2500
स्कूलों के लिए अनुमानित राशि 9322 करोड़ रुपये तय की गई, जिसमें केंद्र का
हिस्सा 7457 करोड़ रुपये का है।
केंद्र पूर्वोत्तर को छोड़कर सभी राज्यों में इन स्कूलों के लिए 75
प्रतिशत धन मुहैया कराएगा, जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों में केंद्र और
राज्यों के बीच यह अनुपात 90-10 का होगा। सरकारी क्षेत्र में 3500 स्कूल
स्थापित करने के लिए केंद्र का हिस्सा 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 9935
करोड़ रुपये है। प्रत्येक स्कूल में 50 विद्यार्थी होंगे और ये स्कूल लगभग
19.6 विद्यार्थियों को लाभ प्रदान करेंगे।
बयान में कहा गया कि इस काम को राज्यों द्वारा इस उद्देश्य के लिए
स्थापित समितियों के जरिए कार्यान्वित किया जाएगा। ये स्कूल 27 राज्यों और
केंद्र शासित प्रदेशों के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 3500 क्षेत्रों में
स्थापित होंगे। इन स्कूलों में छठी से लेकर 12वीं तक या फिर नौवीं से लेकर
12वीं तक कक्षाएं लगेंगी। प्रत्येक स्कूल के नियम और मानक केंद्रीय
विद्यालयों जैसे या फिर इनसे बेहतर होंगे, जबकि भाषा माध्यम के बारे में
फैसला राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा। ये स्कूल उच्च मानकों के होंगे और
अन्य संस्थानों के लिए उदाहरण स्थापित करेंगे।