कुरुक्षेत्र
[राजेश चौहान]। मलेरिया के परजीवी को अब हल्दी से काबू पाया जाएगा। हल्दी
में पाया जाने वाला क्यूरकोनिन पदार्थ मलेरिया को तीन दिन में परास्त कर
रोगी को स्वस्थ करेगा। पशुओं पर इस ट्रायल को शत-प्रतिशत सफलता मिली है और
क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण जारी है।
पद्मभूषण तथा भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर जी पद्मनाभन ने
मलेरिया के अचूक इलाज का यह फार्मूला खोजा है। सोमवार को कुरुक्षेत्र
विश्वविद्यालय में गोयल पुरस्कार से नवाजे गए प्रो. पद्मनाभन ने अपने इस
महत्वाकांक्षी शोध पर चर्चा करते हुए बताया कि हल्दी से निकाला गया यह अणु
[मोलीक्यूल] पूरी तरह से प्राकृतिक है। यह चीन के वैज्ञानिकों द्वारा खोजे
गए अर्टीमिशनन के कंबिनेशन में काम करेगा। पांच माह बाद क्यूरकोनिन के
ट्रायल का दूसरा चरण शुरू होगा। इसमें दवा के विषैलेपन तथा साइड इफेक्ट्स
का अध्ययन किया जाएगा। तीसरे चरण में रोगियों पर परीक्षण कर इसे दवा की
शक्ल दे दी जाएगी।
प्रो. पद्मनाभन बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में दो साल और लग सकते
हैं। प्रयोग सफल होने पर क्यूरकोनिन तथा अर्टीमिशनन पर आधारित मलेरिया की
दो गोलियों का मेल बनेगा। तीन दिन में यह खुराक आदमी को स्वस्थ करेगी। सात
साल की लंबी मेहनत के पश्चात यह मोलीक्यूल खोजने वाले प्रो. पद्मनाभन के
अनुसार भारत में मलेरिया हर वर्ष 20 लाख लोगों को अपनी चपेट में लेता है,
जबकि अफ्रीका में लाखों बच्चे इसके संक्रमण से मर जाते हैं।
अलबत्ता मलेरिया के लिए बनी दवाओं का प्रभाव उसके परजीवी पर कम होता
जा रहा है। उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि
क्यूरकोनिन से कैंसर, अलजाइमर व जेनेटिक डिस्आर्डर आदि कई अन्य बीमारियों
के लिए दवाएं तैयार करने में भी मदद मिलेगी। इन पर भी शोध चल रहे हैं।
प्रो. पद्मनाभन का कहना है कि हल्दी में चमत्कारिक गुण हैं।